
#गढ़वा #रुद्र_महायज्ञ : नीलकंठ महादेव मंदिर परिसर में श्रमदान के साथ शुरू हुई महायज्ञ की तैयारी।
गढ़वा जिला मुख्यालय के समीप ग्राम जौबरईया स्थित श्री नीलकंठ महादेव मंदिर परिसर में प्रस्तावित श्री रुद्र महायज्ञ की तैयारियां औपचारिक रूप से शुरू हो गई हैं। यज्ञशाला निर्माण के लिए आवश्यक कुश की कटाई का कार्य जागृति युवा क्लब सह यज्ञ आयोजन समिति के तत्वावधान में सम्पन्न हुआ। वेदिक विधि से पूजा-अर्चना के साथ किए गए इस श्रमदान में ग्रामीणों और युवाओं की सक्रिय भागीदारी रही। आगामी मार्च 2026 में होने वाला यह महायज्ञ क्षेत्र के लिए एक बड़ा धार्मिक और सामाजिक आयोजन माना जा रहा है।
- आयोजन स्थल: ग्राम जौबरईया, श्री नीलकंठ महादेव मंदिर परिसर।
- कार्यक्रम: यज्ञशाला हेतु कुश की कटाई और श्रमदान।
- आयोजक: जागृति युवा क्लब सह यज्ञ आयोजन समिति।
- यज्ञाधीश: श्री श्री आचार्य आशीष वैद्य जी महाराज।
- महायज्ञ तिथि: 8 मार्च से 16 मार्च 2026।
- भागीदारी: ग्रामीणों, युवाओं एवं समिति पदाधिकारियों की सक्रिय उपस्थिति।
गढ़वा जिले के धार्मिक और सांस्कृतिक जीवन में एक बार फिर आस्था और परंपरा का संगम देखने को मिल रहा है। ग्राम जौबरईया स्थित श्री नीलकंठ महादेव मंदिर परिसर में आयोजित होने वाले श्री रुद्र महायज्ञ को लेकर तैयारियां तेज हो गई हैं। इसी क्रम में यज्ञशाला निर्माण के लिए आवश्यक कुश की कटाई का कार्य सोमवार को पूरे विधि-विधान और श्रद्धा के साथ संपन्न हुआ। इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में ग्रामीणों और युवाओं ने श्रमदान कर आयोजन की नींव मजबूत की।
वेदिक विधि से हुआ कार्यक्रम का शुभारंभ
सुबह लगभग आठ बजे जागृति युवा क्लब सह यज्ञ आयोजन समिति के सदस्य नवगढ़ गांव के कोयल नदी तट क्षेत्र में एकत्रित हुए। कार्यक्रम शुरू होने से पूर्व यज्ञाधीश श्री श्री आचार्य आशीष वैद्य जी महाराज और समिति अध्यक्ष जितेंद्र कुमार पाल ने वेदिक मंत्रोच्चारण के साथ पूजा-अर्चना कर कुश कटाई कार्य का विधिवत शुभारंभ किया। इसके बाद सभी श्रद्धालुओं ने सामूहिक रूप से कुश संग्रह का कार्य किया।
श्रमदान को बताया सनातन परंपरा की आत्मा
इस अवसर पर आचार्य आशीष वैद्य जी महाराज ने उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा:
आचार्य आशीष वैद्य जी महाराज ने कहा: “श्रमदान और सेवा की भावना ही सनातन संस्कृति की आत्मा है। जब समाज एकजुट होकर धर्मकार्य करता है, तब उसमें आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार होता है और सामाजिक सद्भाव भी मजबूत होता है।”
उन्होंने कहा कि इस तरह के आयोजन केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं होते, बल्कि समाज को जोड़ने और संस्कारों को अगली पीढ़ी तक पहुंचाने का माध्यम भी बनते हैं।
ग्रामीणों और युवाओं की सक्रिय भागीदारी
कुश कटाई के दौरान ग्रामीणों में विशेष उत्साह देखने को मिला। इस श्रमदान में शिवपूजन पाल, कृष्णा राम, राजकिशोर पाल, रोहित कुमार चंद्रवंशी, कौशल कुशवाहा, रामाशीष कुशवाहा, मदन कुशवाहा और उदित पाल ने सक्रिय भूमिका निभाई। सभी ने सामूहिक प्रयास से कुश संग्रह कर यज्ञशाला निर्माण की तैयारी को आगे बढ़ाया।
जागृति युवा क्लब की ओर से उपाध्यक्ष सत्येंद्र पाल, सचिव विनय पाल, कोषाध्यक्ष विवेकानंद पाल, उपकोषाध्यक्ष चैतू कुमार भुईंया समेत कई वरिष्ठ और युवा सदस्य पूरे आयोजन में सक्रिय रूप से जुटे रहे। समिति सदस्यों ने बताया कि आगे भी महायज्ञ की तैयारियों में इसी तरह सामूहिक श्रमदान और जनसहयोग लिया जाएगा।
आगामी महायज्ञ को लेकर उत्साह
आयोजन समिति ने जानकारी दी कि श्री रुद्र महायज्ञ का आयोजन 8 मार्च से 16 मार्च 2026 तक किया जाएगा। इससे पूर्व श्री हनुमत ध्वज अधिष्ठापन का कार्यक्रम सफलतापूर्वक संपन्न हो चुका है। महायज्ञ के दौरान विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान, प्रवचन और पूजन कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे, जिसमें आसपास के गांवों के अलावा दूर-दराज से भी श्रद्धालुओं के पहुंचने की संभावना है।
प्रधान संयोजक ने जनसहयोग पर दिया जोर
महायज्ञ के प्रधान संयोजक एवं युवा समाजसेवी राकेश कुमार पाल ने कहा:
राकेश कुमार पाल ने कहा: “यह महायज्ञ पूरी तरह जनसहयोग से संपन्न होगा। समाज के प्रत्येक वर्ग का सहयोग इसकी सफलता की कुंजी है। कुश कटाई में शामिल सभी लोगों का उत्साह और समर्पण प्रशंसनीय है।”
उन्होंने बताया कि आयोजन को लेकर समिति स्तर पर लगातार बैठकें की जा रही हैं और व्यवस्थाओं को चरणबद्ध तरीके से पूरा किया जाएगा।
धार्मिक आयोजन के साथ सामाजिक संदेश
स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि इस तरह के धार्मिक आयोजनों से न केवल आस्था को बल मिलता है, बल्कि सामाजिक एकता भी मजबूत होती है। युवा पीढ़ी जब ऐसे आयोजनों में आगे बढ़कर हिस्सा लेती है, तो संस्कार और परंपराएं जीवित रहती हैं। कुश कटाई जैसे कार्यों में सामूहिक श्रमदान समाज में समानता और सहयोग की भावना को प्रोत्साहित करता है।
न्यूज़ देखो: आस्था और एकता का संगम
श्री रुद्र महायज्ञ की तैयारी की शुरुआत यह दर्शाती है कि ग्रामीण समाज आज भी सामूहिक सहभागिता और परंपरा को महत्व देता है। श्रमदान के माध्यम से आयोजन की नींव रखना सामाजिक एकजुटता का मजबूत संकेत है। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि आगामी महीनों में प्रशासनिक सहयोग और जनसहभागिता किस स्तर तक इस आयोजन को भव्य स्वरूप देती है। हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
धर्म और समाज से जुड़ने का अवसर
इस तरह के धार्मिक आयोजनों में सहभागिता समाज को जोड़ने का कार्य करती है। यदि आप भी अपने क्षेत्र में ऐसे सकारात्मक प्रयासों का हिस्सा बनते हैं, तो सामाजिक समरसता और सांस्कृतिक चेतना मजबूत होती है।
इस खबर को साझा करें, अपनी राय कमेंट में लिखें और ऐसे आयोजनों के महत्व को लोगों तक पहुंचाएं, ताकि सामूहिक प्रयास से परंपराएं और विश्वास आगे बढ़ते रहें।





