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राजकीय जनजातीय हिजला मेला 2026 की तैयारियां शुरू, दुमका प्रशासन ने आमंत्रित की निविदा

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#दुमका #जनजातीय_महोत्सव : हिजला मेला महोत्सव 2026 के सफल आयोजन के लिए व्यवस्था और खानपान कार्यों हेतु अतिअल्पकालीन निविदा जारी
  • राजकीय जनजातीय हिजला मेला महोत्सव 2026 के आयोजन की प्रक्रिया हुई प्रारंभ।
  • अनुमंडल कार्यालय, दुमका द्वारा अतिअल्पकालीन निविदा आमंत्रित।
  • निविदा लिफाफा प्रणाली के आधार पर एकमुश्त दर पर स्वीकार की जाएगी।
  • पैकेज–1 में टेंट, पंडाल, लाइट, साउंड, जेनरेटर सहित अन्य व्यवस्थाएं शामिल।
  • पैकेज–2 में खानपान, पंजी, पगड़ी, टी-शर्ट, टोपी, स्टेशनरी आदि की व्यवस्था।
  • दोनों पैकेज के लिए निविदा जमा करने की अंतिम तिथि 26 दिसंबर 2025

दुमका में आयोजित होने वाले राजकीय जनजातीय हिजला मेला महोत्सव 2026 को लेकर प्रशासन ने तैयारियां तेज कर दी हैं। इस क्रम में मेला के सफल और सुव्यवस्थित आयोजन के लिए अनुमंडल कार्यालय, दुमका द्वारा अतिअल्पकालीन निविदा आमंत्रित की गई है। यह निविदा मेला आयोजन से जुड़ी विभिन्न व्यवस्थाओं और खानपान संबंधी कार्यों के लिए जारी की गई है, जिससे आयोजन को भव्य, व्यवस्थित और जनसुविधाजनक बनाया जा सके।

प्रशासन की ओर से स्पष्ट किया गया है कि निविदा लिफाफा प्रणाली के आधार पर एकमुश्त दर निर्धारण के तहत स्वीकार की जाएगी। इससे कार्यों में पारदर्शिता और समयबद्ध निष्पादन सुनिश्चित किया जा सकेगा।

जनजातीय संस्कृति का प्रतीक है हिजला मेला

राजकीय जनजातीय हिजला मेला केवल एक पारंपरिक आयोजन नहीं, बल्कि संथाल परगना क्षेत्र की जनजातीय संस्कृति, कला और परंपराओं का जीवंत प्रतीक है। हर वर्ष इस मेले में हजारों की संख्या में स्थानीय लोग, जनजातीय समुदाय के कलाकार, शिल्पकार और पर्यटक शामिल होते हैं।

मेला महोत्सव के दौरान जनजातीय नृत्य, लोकगीत, पारंपरिक वेशभूषा, हस्तशिल्प और स्थानीय व्यंजनों की विशेष झलक देखने को मिलती है। ऐसे में प्रशासन इस आयोजन को सुव्यवस्थित और यादगार बनाने के लिए पहले से ही ठोस तैयारी में जुट गया है।

पैकेज–1 : व्यवस्था संबंधी कार्य

पहले पैकेज के अंतर्गत मेला स्थल की संपूर्ण भौतिक और तकनीकी व्यवस्था शामिल की गई है। इसमें प्रमुख रूप से:

  • टेंट और पंडाल की स्थापना
  • प्रकाश व्यवस्था (लाइटिंग)
  • साउंड सिस्टम
  • जेनरेटर
  • मेला संचालन से संबंधित अन्य आवश्यक सामग्री

की व्यवस्था की जाएगी।

इस पैकेज के लिए निविदा जमा करने की अंतिम तिथि 26 दिसंबर 2025 अपराह्न 02:00 बजे निर्धारित की गई है। जबकि निविदा खोलने की तिथि 29 दिसंबर 2025 अपराह्न 03:30 बजे रखी गई है।

पैकेज–2 : खानपान एवं अन्य सामग्री

दूसरे पैकेज के तहत मेला आयोजन से जुड़े खानपान और सहायक सामग्रियों की व्यवस्था की जाएगी। इसमें शामिल हैं:

  • पंजी
  • पगड़ी
  • टी-शर्ट
  • टोपी
  • अल्पाहार एवं भोजन
  • स्टेशनरी सहित अन्य सामग्री

यह पैकेज भी मेला आयोजन की गरिमा और अतिथियों की सुविधा के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इस पैकेज के लिए भी निविदा जमा करने की अंतिम तिथि 26 दिसंबर 2025 अपराह्न 02:00 बजे और निविदा खोलने की तिथि 29 दिसंबर 2025 अपराह्न 03:30 बजे निर्धारित की गई है।

निविदा खोलने का स्थान

प्रशासन ने जानकारी दी है कि दोनों पैकेजों से संबंधित निविदाएं अनुमंडल पदाधिकारी-सह-सचिव, राजकीय जनजातीय हिजला मेला समिति, दुमका के कार्यालय कक्ष में खोली जाएंगी।

निविदा प्रक्रिया की निगरानी समिति द्वारा की जाएगी, ताकि नियमों और शर्तों का पूर्णतः पालन हो सके।

वेबसाइट पर उपलब्ध है विस्तृत विवरण

इच्छुक निविदादाताओं के लिए प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि कार्यविवरण, दर, नियम एवं शर्तों सहित विस्तृत जानकारी आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध कराई गई है। निविदा में भाग लेने से पूर्व संबंधित दस्तावेजों का अध्ययन करना अनिवार्य होगा।

प्रशासन का उद्देश्य है कि चयनित एजेंसी समय पर और गुणवत्तापूर्ण ढंग से कार्यों को पूरा करे, जिससे मेला आयोजन में किसी भी प्रकार की अव्यवस्था न हो।

समयबद्ध और पारदर्शी आयोजन पर जोर

अनुमंडल प्रशासन का कहना है कि हिजला मेला जैसे बड़े जनजातीय आयोजन में समयबद्ध तैयारी और पारदर्शिता अत्यंत आवश्यक है। इसी कारण अतिअल्पकालीन निविदा प्रक्रिया अपनाई गई है, ताकि चयन के बाद कार्य शीघ्र प्रारंभ हो सके।

अधिकारियों के अनुसार, मेला आयोजन के दौरान सुरक्षा, स्वच्छता, यातायात और दर्शकों की सुविधा को भी प्राथमिकता दी जाएगी।

न्यूज़ देखो: जनजातीय अस्मिता के संरक्षण की पहल

राजकीय जनजातीय हिजला मेला केवल उत्सव नहीं, बल्कि जनजातीय अस्मिता, परंपरा और सांस्कृतिक विरासत को सहेजने का माध्यम है। समय रहते निविदा प्रक्रिया शुरू करना प्रशासन की गंभीरता को दर्शाता है, जिससे 2026 का मेला और अधिक सुव्यवस्थित एवं भव्य हो सके। हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

संस्कृति और व्यवस्था दोनों जरूरी

जनजातीय मेलों की भव्यता के साथ-साथ सुव्यवस्था भी उतनी ही महत्वपूर्ण है।
सही तैयारी से परंपरा और आधुनिक व्यवस्था का संतुलन बनता है।
आप क्या चाहते हैं कि हिजला मेला 2026 में और बेहतर हो?
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Saroj Verma

दुमका/देवघर

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