
#गिरिडीह #स्वास्थ्य_निरीक्षण : कुपोषित बच्चों के उपचार और पोषण व्यवस्था को लेकर प्रशासन सख्त।
गिरिडीह जिले में स्वास्थ्य सुविधाओं को मजबूत करने और कुपोषण की समस्या को समाप्त करने के लिए जिला प्रशासन सक्रिय नजर आ रहा है। शुक्रवार को उपायुक्त रामनिवास यादव ने डुमरी अनुमंडलीय अस्पताल का निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने विशेष रूप से कुपोषण उपचार केंद्र (MTC) की व्यवस्थाओं की गहन समीक्षा की। निरीक्षण का उद्देश्य कुपोषित बच्चों को समय पर गुणवत्तापूर्ण उपचार और पोषण उपलब्ध कराना रहा।
- उपायुक्त रामनिवास यादव ने डुमरी अनुमंडलीय अस्पताल का किया निरीक्षण।
- कुपोषण उपचार केंद्र (MTC) की व्यवस्थाओं की विस्तृत समीक्षा।
- कुपोषित बच्चों की पहचान कर समय पर MTC में भर्ती कराने के निर्देश।
- पोषण आहार, दवाएं, साफ-सफाई और रिकॉर्ड संधारण पर विशेष जोर।
- लापरवाही पर सख्त कार्रवाई की चेतावनी, रोस्टर पंजी की भी जांच।
गिरिडीह जिले में कुपोषण की समस्या को जड़ से समाप्त करने और स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से जिला प्रशासन लगातार निगरानी कर रहा है। इसी क्रम में शुक्रवार को उपायुक्त रामनिवास यादव ने डुमरी अनुमंडलीय अस्पताल का औचक निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान उन्होंने अस्पताल की समग्र स्वास्थ्य व्यवस्था के साथ-साथ कुपोषण उपचार केंद्र (MTC) का विशेष रूप से जायजा लिया।
निरीक्षण के दौरान उपायुक्त ने MTC में भर्ती कुपोषित बच्चों को दी जा रही चिकित्सीय सुविधाओं की बारीकी से समीक्षा की। उन्होंने बच्चों को दिए जा रहे पोषण आहार, दवाओं की उपलब्धता, स्वच्छता व्यवस्था, रिकॉर्ड संधारण और उपचार प्रक्रिया की स्थिति का निरीक्षण किया। इस दौरान यह भी देखा गया कि बच्चों के लिए निर्धारित आहार चार्ट का सही तरीके से पालन हो रहा है या नहीं।
कुपोषित बच्चों की पहचान पर विशेष जोर
निरीक्षण के क्रम में उपायुक्त ने जिला समाज कल्याण पदाधिकारी को स्पष्ट निर्देश दिए कि क्षेत्र में कुपोषित बच्चों की पहचान प्राथमिकता के आधार पर की जाए। उन्होंने कहा कि जैसे ही किसी बच्चे में कुपोषण के लक्षण पाए जाएं, उसे तुरंत MTC केंद्र में लाकर भर्ती कराया जाए, ताकि समय पर उपचार शुरू हो सके।
उपायुक्त रामनिवास यादव ने कहा:
“कुपोषण से बच्चों का शारीरिक और मानसिक विकास प्रभावित होता है। समय पर पहचान और उपचार से इसे पूरी तरह रोका जा सकता है। इस दिशा में किसी भी स्तर पर लापरवाही स्वीकार्य नहीं होगी।”
उन्होंने महिला पर्यवेक्षकों को भी गंभीरता से कार्य करने का निर्देश देते हुए कहा कि आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से नियमित सर्वे कर कुपोषित बच्चों की सूची तैयार की जाए और उसकी जानकारी स्वास्थ्य विभाग को समय पर दी जाए।
उपचार, निगरानी और स्वच्छता की समीक्षा
निरीक्षण के दौरान उपायुक्त ने बच्चों के नियमित स्वास्थ्य जांच, वजन मापन, दैनिक निगरानी और देखभाल की व्यवस्था का भी जायजा लिया। उन्होंने यह सुनिश्चित करने को कहा कि हर बच्चे की प्रगति का रिकॉर्ड अद्यतन रखा जाए और सुधार की स्थिति को नियमित रूप से मॉनिटर किया जाए।
साथ ही उन्होंने केंद्र में स्वच्छता बनाए रखने पर विशेष बल दिया। उन्होंने निर्देश दिया कि MTC परिसर, किचन, वार्ड और आसपास के क्षेत्रों की नियमित सफाई सुनिश्चित की जाए, ताकि बच्चों को किसी भी प्रकार के संक्रमण का खतरा न हो।
माताओं को परामर्श और जागरूकता जरूरी
उपायुक्त ने स्वास्थ्य कर्मियों को यह भी निर्देश दिया कि MTC में भर्ती बच्चों की माताओं को पोषण और स्वास्थ्य संबंधी परामर्श नियमित रूप से दिया जाए। उन्हें संतुलित आहार, स्वच्छता, स्तनपान और बच्चों की देखभाल से जुड़ी जरूरी जानकारी दी जाए, ताकि बच्चे के डिस्चार्ज के बाद भी उसका स्वास्थ्य बेहतर बना रहे।
उन्होंने कहा कि केवल केंद्र में इलाज कर देना पर्याप्त नहीं है, बल्कि घर लौटने के बाद भी बच्चों का पोषण स्तर बनाए रखना उतना ही जरूरी है। इसके लिए माताओं की जागरूकता बेहद अहम है।
रोस्टर पंजी की जांच, सख्त संदेश
निरीक्षण के दौरान उपायुक्त ने रोस्टर पंजी की भी जांच की और ड्यूटी में तैनात कर्मियों की उपस्थिति का सत्यापन किया। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि स्वास्थ्य सेवाओं में किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
उपायुक्त रामनिवास यादव ने कहा:
“स्वास्थ्य विभाग से जुड़े सभी कर्मी अपनी जिम्मेवारी पूरी निष्ठा और ईमानदारी से निभाएं। बच्चों के इलाज में कोई कोताही सामने आई तो संबंधित कर्मियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।”
उन्होंने सभी संबंधित पदाधिकारियों और स्वास्थ्य कर्मियों को निर्देश दिया कि वे आपसी समन्वय के साथ कार्य करें और MTC को एक प्रभावी केंद्र के रूप में विकसित करें।
न्यूज़ देखो: कुपोषण के खिलाफ प्रशासन की सख्ती
डुमरी अनुमंडलीय अस्पताल के निरीक्षण से यह स्पष्ट होता है कि जिला प्रशासन कुपोषण को लेकर गंभीर है। बच्चों के स्वास्थ्य से जुड़े मामलों में अब केवल औपचारिकता नहीं, बल्कि जमीनी निगरानी पर जोर दिया जा रहा है। सवाल यह है कि दिए गए निर्देशों का नियमित पालन कितना प्रभावी रूप से हो पाता है। हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
स्वस्थ बचपन, मजबूत भविष्य की नींव
कुपोषण के खिलाफ लड़ाई केवल प्रशासन की नहीं, बल्कि समाज की भी जिम्मेदारी है। समय पर पहचान, उपचार और जागरूकता से ही बच्चों को स्वस्थ भविष्य दिया जा सकता है। इस खबर पर अपनी राय साझा करें, इसे आगे बढ़ाएं और दूसरों को भी स्वास्थ्य के प्रति सजग बनने के लिए प्रेरित करें।





