Latehar

महुआडांड़ में सड़क निर्माण का सपना वर्षों से अधूरा, छह किलोमीटर के रास्ते के लिए 32 किलोमीटर घूमने को मजबूर ग्रामीण

Join News देखो WhatsApp Channel
#महुआडांड़ #सड़क_समस्या : वन विभाग की आपत्तियों से ठप पड़ा सड़क निर्माण, ग्रामीण बोले — “न खुद बनाते, न बनाने देते”
  • मिरगी से चीरोपाठ तक की सड़क पिछले कई वर्षों से अधूरी पड़ी है।
  • महज 6 किलोमीटर सड़क के लिए ग्रामीणों को रोज़ाना 32 किलोमीटर का चक्कर लगाना पड़ता है।
  • वन विभाग की आपत्तियों के कारण सड़क निर्माण रुका हुआ है।
  • बरसात में पगडंडियां कीचड़ और गड्ढों से भर जाती हैं, जिससे आवागमन मुश्किल हो जाता है।
  • ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द काम शुरू नहीं हुआ तो वे आंदोलन करेंगे।
  • वनपाल कुवर गंजू और अधिकारी कुणाल कुमार ने शीघ्र समाधान का भरोसा दिलाया है।

लातेहार जिले के महुआडांड़ प्रखंड के मिरगी से चीरोपाठ को जोड़ने वाली सड़क आज भी अधूरी पड़ी है। मात्र छह किलोमीटर की यह सड़क ग्रामीणों के लिए वर्षों से बड़ी परेशानी का कारण बनी हुई है। वन विभाग की आपत्तियों और प्रशासनिक खींचतान के चलते सड़क निर्माण कार्य ठप है, जिसके कारण लोगों को रोज़मर्रा की ज़िंदगी में भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।

6 किलोमीटर सड़क न बनने से 32 किलोमीटर की मजबूरी

ग्रामीणों का कहना है कि अगर यह सड़क बन जाए, तो महुआडांड़ से चीरोपाठ की दूरी केवल 15 किलोमीटर रह जाएगी। लेकिन सड़क न होने के कारण उन्हें हर दिन लगभग 32 किलोमीटर का लंबा रास्ता तय करना पड़ता है। इससे बच्चों की पढ़ाई, बीमारों को अस्पताल ले जाने और बाज़ार तक पहुंचने में भारी दिक्कत होती है।

एक ग्रामीण ने आक्रोश जताते हुए कहा: “वन विभाग न खुद बनाता है, न किसी और को बनाने देता है। हर बार बहाना बनाकर काम रुकवा दिया जाता है।”

ग्रामीणों के अनुसार, कई बार निर्माण एजेंसी ने सड़क का कार्य शुरू करने की कोशिश की, लेकिन हर बार वन विभाग ने ‘वन भूमि’ का हवाला देकर कार्य रोक दिया।

बरसात में दुश्वार हो जाता है सफर

बरसात के मौसम में स्थिति और भी भयावह हो जाती है। पगडंडियां दलदल में बदल जाती हैं, जिससे बच्चों और बुजुर्गों को बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है। ग्रामीणों ने बताया कि कई बार गर्भवती महिलाएं और बीमार मरीज समय पर अस्पताल नहीं पहुंच पाते, जिससे जान का खतरा तक बन जाता है।

लंबे समय से अनदेखी के कारण अब स्थानीय लोगों का सब्र टूट रहा है। वे प्रशासन से बार-बार गुहार लगा चुके हैं, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई अब तक नहीं हुई।

वन विभाग की आपत्तियों से अटका निर्माण

सूत्रों के अनुसार, सड़क जिस क्षेत्र से होकर गुजरती है, वह वन भूमि के अंतर्गत आता है। इसी कारण विभागीय अनुमति की जटिल प्रक्रिया में सड़क निर्माण फंस गया है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि विभाग विकास कार्यों में अनावश्यक रुकावटें डालता है।

एक ग्रामीण ने कहा: “अगर यह सड़क बन जाए तो बच्चों की पढ़ाई, इलाज और रोजगार तक पहुंच आसान हो जाएगी, लेकिन विभाग की मनमानी से हम सालों पीछे रह गए हैं।”

अधिकारी बोले — “समस्या से अवगत हैं, जल्द शुरू होगा काम”

इस मुद्दे पर वनपाल कुवर गंजू ने कहा कि वे ग्रामीणों की समस्या से पूरी तरह अवगत हैं और विभाग इस दिशा में गंभीरता से काम कर रहा है।

वनपाल कुवर गंजू ने कहा: “बहुत जल्द सड़क निर्माण का कार्य शुरू किया जाएगा, जिससे लोगों की परेशानी दूर होगी।”

वहीं, वन विभाग के अधिकारी कुणाल कुमार ने भी आश्वासन दिया कि बातचीत का दौर जारी है और समस्या का हल जल्द निकाला जाएगा।

कुणाल कुमार ने कहा: “विभागीय अधिकारियों से लगातार संपर्क किया जा रहा है। बहुत जल्द इस समस्या से ग्रामीणों को राहत मिलेगी।”

ग्रामीणों ने दी चेतावनी, कहा — आंदोलन होगा आखिरी विकल्प

लगातार अनदेखी से नाराज़ ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि अगर जल्द सड़क निर्माण का कार्य शुरू नहीं हुआ, तो वे आंदोलन का रास्ता अपनाएंगे। ग्रामीणों का कहना है कि वर्षों से वे केवल वादे सुनते आ रहे हैं, लेकिन ज़मीन पर अब तक कुछ नहीं हुआ। वे चाहते हैं कि सरकार और विभाग मिलकर इस सड़क को जल्द से जल्द पूरा करें ताकि उनकी परेशानियों का अंत हो सके।

न्यूज़ देखो: विकास की राह में वन विभाग की दीवार

महुआडांड़ से चीरोपाठ तक अधूरी सड़क झारखंड के ग्रामीण इलाकों में विकास योजनाओं की वास्तविक तस्वीर दिखाती है। विभागीय जटिलताओं और अनदेखी ने ग्रामीणों को मुश्किल जीवन जीने पर मजबूर कर दिया है। इस मुद्दे पर प्रशासन और वन विभाग को समन्वय बनाकर तत्काल कार्रवाई करनी होगी ताकि जनहित के कार्य समय पर पूरे हों।

हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

अब वक्त है ग्रामीण विकास को प्राथमिकता देने का

सड़क किसी भी क्षेत्र की जीवनरेखा होती है। जब लोग छह किलोमीटर की दूरी तय करने के लिए 32 किलोमीटर घूमने को मजबूर हों, तो यह शासन की संवेदनशीलता पर सवाल खड़े करता है।
अब ज़रूरत है कि अधिकारी केवल आश्वासन नहीं, कार्रवाई दिखाएं।
आइए, इस खबर को साझा करें, अपनी राय दें और मिलकर ग्रामीण इलाकों की आवाज़ बनें — क्योंकि विकास का अधिकार हर नागरिक का है।

📥 Download E-Paper

यह खबर आपके लिए कितनी महत्वपूर्ण थी?

रेटिंग देने के लिए किसी एक स्टार पर क्लिक करें!

इस खबर की औसत रेटिंग: 0 / 5. कुल वोट: 0

अभी तक कोई वोट नहीं! इस खबर को रेट करने वाले पहले व्यक्ति बनें।

चूंकि आपने इस खबर को उपयोगी पाया...

हमें सोशल मीडिया पर फॉलो करें!

IMG-20251017-WA0018
IMG-20250723-WA0070
IMG-20250610-WA0011
IMG-20250925-WA0154
1000264265
IMG-20250604-WA0023 (1)

नीचे दिए बटन पर क्लिक करके हमें सोशल मीडिया पर फॉलो करें


Ramprawesh Gupta

महुवाडांड, लातेहार

Related News

ये खबर आपको कैसी लगी, अपनी प्रतिक्रिया दें

Back to top button
error: