
#रांची #भाजपा #संगठनात्मकरणनीति – जातीय समीकरण, क्षेत्रीय संतुलन और संगठनात्मक मजबूती को ध्यान में रखकर बनाई गई पैनल, इसी हफ्ते हो सकती है घोषणा
- राज्य के 517 मंडलों में अध्यक्षों का चयन लगभग पूरा
- जातीय-सामाजिक संतुलन को ध्यान में रखकर बनी कमेटी
- निकाय चुनाव के मद्देनज़र बूथ स्तर पर मजबूती की तैयारी
- रायशुमारी व पर्यवेक्षक रिपोर्ट से तय किए गए नाम
- आंतरिक असंतोष रोकने के लिए दो स्तर पर निगरानी
अंतिम मुहर से पहले तैयार भाजपा की संगठनात्मक सूची
झारखंड भाजपा ने 517 मंडलों के लिए अध्यक्षों समेत पूरी कमेटी का चयन कर लिया है। यह सूची रायशुमारी और पर्यवेक्षकों की रिपोर्टों के आधार पर तैयार की गई है और अब अंतिम स्वीकृति के लिए प्रदेश नेतृत्व के पास भेजी गई है। सूत्रों के मुताबिक, यह सूची इस सप्ताह सार्वजनिक हो सकती है। हालांकि एक महीने की देरी से यह प्रक्रिया पूरी हुई है, लेकिन पार्टी ने इसे निकाय चुनाव की तैयारी के लिए रणनीतिक अवसर के रूप में उपयोग किया है।
सामाजिक संतुलन को प्राथमिकता
इस बार भाजपा ने मंडल अध्यक्षों के चयन में आदिवासी, दलित, पिछड़ा वर्ग और अन्य प्रमुख सामाजिक समूहों को संतुलित प्रतिनिधित्व देने पर ज़ोर दिया है। यह फैसला जनाधार को निचले स्तर पर मजबूत करने और विभिन्न वर्गों को पार्टी से जोड़ने की रणनीति के तहत लिया गया है। संगठन स्तर पर यह प्रयास पार्टी को आगामी निकाय चुनावों में सामाजिक आधार बढ़ाने में मदद करेगा।
चुनावी रणनीति का पहला चरण
झारखंड में 2025 के अंत तक स्थानीय निकाय चुनाव कराए जाने की संभावना है। इसी को ध्यान में रखते हुए भाजपा ने मंडल अध्यक्षों की नियुक्ति को एक संगठनात्मक प्रक्रिया से आगे बढ़कर चुनावी रणनीति का हिस्सा माना है। प्रत्येक मंडल अध्यक्ष को बूथ सशक्तिकरण, मतदाता प्रबंधन और सामाजिक समीकरण साधने की ज़िम्मेदारी दी जाएगी।
भाजपा के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा: “मंडल अध्यक्षों की सूची में ऐसा वर्गीकरण किया गया है जिससे प्रत्येक वार्ड, नगर निकाय और पंचायत क्षेत्र में भाजपा का पकड़ मजबूत हो सके। हम केवल नाम तय नहीं कर रहे, हम निकाय चुनाव की नींव रख रहे हैं।”
दो स्तर पर पर्यवेक्षण से घटा असंतोष
भाजपा ने इस बार दो स्तरों — जिला और प्रदेश — पर पर्यवेक्षकों की तैनाती की थी ताकि किसी प्रकार के गुटीय या आंतरिक असंतोष को समय रहते निपटाया जा सके। इस समन्वित निगरानी तंत्र के कारण यह माना जा रहा है कि सूची घोषित होने के बाद विरोध की संभावना बेहद कम रहेगी। पार्टी सूत्रों का मानना है कि यह सूची पार्टी के लिए ‘फील्ड वर्कर कैडर’ का काम करेगी जो ज़मीनी स्तर पर संगठन को चुनाव के लिए तैयार करेगा।
केंद्रीय मंजूरी के संकेत
प्रदेश संगठन प्रभारी लक्ष्मीकांत वाजपेयी को इस चयन प्रक्रिया की विस्तृत जानकारी पहले ही दे दी गई है, जिससे यह संकेत मिलता है कि इस सूची को केंद्रीय स्तर से भी हरी झंडी मिलने की पूरी संभावना है। इससे यह स्पष्ट है कि भाजपा इस संगठनात्मक कवायद को लेकर पूरी तरह गंभीर और सुसंगत है।
जमीनी राजनीति की बड़ी तैयारी
भाजपा की यह मंडल अध्यक्ष सूची केवल संगठनात्मक ढांचे का पुनर्गठन नहीं है, बल्कि यह 2025 के स्थानीय निकाय चुनाव की जमीनी रणनीति का आधार स्तंभ है। हर मंडल अध्यक्ष को भाजपा का “लोअर लेवल चुनाव मैनेजर” माना जा रहा है, जिसका काम केवल बूथ संचालन नहीं, बल्कि निकाय चुनावों में पार्टी की जीत सुनिश्चित करना भी होगा।
न्यूज़ देखो: चुनाव से पहले संगठन का शक्ति प्रदर्शन
झारखंड में भाजपा की यह संगठनात्मक कवायद इस बात का साफ संकेत है कि पार्टी 2025 के स्थानीय चुनावों को लेकर अब पूरी तरह सक्रिय हो चुकी है। मंडल स्तर पर मजबूत पकड़ बनाने और जातीय-सामाजिक समीकरणों को संतुलित करने के प्रयास से भाजपा यह सुनिश्चित करना चाहती है कि आगामी चुनावों में कोई वर्ग उपेक्षित न रह जाए। यही संगठनात्मक नींव भविष्य की चुनावी जीत का आधार बनेगी।
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सक्रिय लोकतंत्र के लिए जागरूक संगठन ज़रूरी
राजनीतिक संगठनों की जमीनी संरचना लोकतंत्र की असली ताकत होती है। जब स्थानीय स्तर पर नेतृत्व को सही ढंग से चुना जाता है, तो इसका प्रभाव आम जनता की समस्याओं पर भी सकारात्मक पड़ता है।
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