
#घाघरा #स्कूलसमयविवाद : सरकारी स्कूलों में समय बदला, लेकिन कई निजी स्कूल पुरानी टाइमिंग पर अड़े—बच्चों की सेहत पर बढ़ रहा खतरा।
- सरकारी स्कूलों में समय बदला, राहत मिली।
- अधिकांश निजी स्कूल पुराने समय पर अड़े।
- बच्चे कोहरे और ठंड में सुबह-सुबह पहुंच रहे स्कूल।
- अभिभावकों ने प्रशासन से सख्त कार्रवाई की मांग की।
- कई बच्चे सर्दी-जुकाम व बुखार की चपेट में।
- पालकों का कहना—बच्चों की जान से बड़ा कोई नियम नहीं।
घाघरा प्रखंड में कड़ाके की ठंड अपने चरम पर है, लेकिन इसके बावजूद कई निजी स्कूल प्रबंधन बच्चों की सेहत की अनदेखी करते हुए अब भी पुराने समय पर ही स्कूल संचालित कर रहे हैं। जहां सरकारी स्कूलों ने बच्चों की सुरक्षा को देखते हुए समय में बदलाव कर दिया है, वहीं निजी स्कूलों की यह जिद छोटे-छोटे बच्चों को प्रतिदिन सुबह की ठिठुरन और घने कोहरे में स्कूल जाने के लिए मजबूर कर रही है। अभिभावक बेहद परेशान हैं और प्रशासन से इस पर त्वरित हस्तक्षेप की मांग कर रहे हैं।
अभिभावकों की कड़ी प्रतिक्रिया—“यह सीधे-सीधे बच्चों की सेहत से खिलवाड़”
स्थानीय अभिभावक नीरज जयसवाल ने निजी स्कूलों की कठोरता पर नाराजगी जताते हुए कहा कि हर सुबह कोहरा और शीतलहर दोनों चरम पर होते हैं। “सरकारी स्कूलों का समय बदल गया, लेकिन निजी स्कूल अब भी बच्चों को उसी समय बुला रहे हैं। यह सीधे तौर पर बच्चों की सेहत के साथ खिलवाड़ है। प्रशासन को तुरंत ऐसे स्कूलों पर कार्रवाई करनी चाहिए।”
“बच्चों की जान से बड़ा कोई नियम नहीं”—रूपेश साहू
दूसरे अभिभावक रूपेश साहू ने निजी स्कूलों की संवेदनहीनता पर सवाल उठाते हुए कहा, “फीस के नाम पर मोटी राशि वसूलने वाले निजी स्कूलों को कम से कम इतनी जिम्मेदारी तो लेनी चाहिए कि बच्चों की जान सबसे महत्वपूर्ण है। हमने समय बदलने की मांग रखी, लेकिन जवाब मिला सिर्फ आश्वासन, फैसला कुछ भी नहीं।”
“कांपते हुए तैयार होते हैं बच्चे”—रोहित दुबे
अभिभावक रोहित दुबे ने बताया कि उनके बच्चे हर दिन कांपते हुए तैयार होते हैं। “न स्कूल का समय बदला, न बस का। कई बच्चे सर्दी-जुकाम और बुखार की चपेट में हैं। अगर जल्द बदलाव नहीं हुआ, तो हमें बच्चों को कुछ दिन के लिए स्कूल भेजना रोकना पड़ सकता है।”
सामूहिक मांग—सभी निजी स्कूलों में अनिवार्य हो समय परिवर्तन
घाघरा के अभिभावकों ने प्रशासन से सामूहिक अपील की है कि ठंड के मौसम में बच्चों के स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए सिर्फ सरकारी नहीं, बल्कि क्षेत्र के सभी निजी स्कूलों पर भी समय परिवर्तन लागू करना अनिवार्य किया जाए। उनका कहना है कि जब तक सभी निजी स्कूल समान निर्णय नहीं अपनाते, तब तक बच्चों को ठंड से राहत नहीं मिलेगी।
न्यूज़ देखो: बच्चों की सुरक्षा सर्वोपरि, निजी स्कूलों पर सवाल
कड़ाके की ठंड में बच्चों का सुबह-सुबह स्कूल जाना न केवल स्वास्थ्य पर भारी पड़ रहा है, बल्कि निजी स्कूलों की कार्यशैली पर भी बड़े सवाल खड़े कर रहा है। जब सरकारी स्कूलों ने समय बदलकर उदाहरण पेश किया है, तो निजी स्कूलों का मौजूदा रुख गैर-जिम्मेदाराना माना जा रहा है। प्रशासन को चाहिए कि इस मुद्दे को गंभीरता से लेकर त्वरित निर्देश जारी करे ताकि किसी भी बच्चे की सेहत जोखिम में न पड़े।
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बच्चों की सुरक्षा में आपकी भी जिम्मेदारी
माता-पिता, शिक्षक और समाज—सभी मिलकर ही बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित कर सकते हैं। ठंड में बच्चों को पर्याप्त गर्म कपड़े पहनाएं, स्कूलों से समय परिवर्तन पर जोर दें और आसपास होने वाली समस्याओं को खुलकर प्रशासन के सामने रखें।
अगर आप भी इस मुद्दे से परेशान हैं, तो नीचे कमेंट करें और इस खबर को अधिक से अधिक अभिभावकों व जिम्मेदार अधिकारियों तक शेयर करें।





