#कोलेबिरा #तुलसीपूजनदिवस : महिला सशक्तिकरण एवं सांस्कृतिक चेतना को जोड़ने का सार्थक आयोजन हुआ।
कोलेबिरा स्थित एकल ग्रामोंथान फाउंडेशन के महिला सशक्तिकरण एवं सिलाई प्रशिक्षण केंद्र में तुलसी पूजन दिवस श्रद्धा और सामूहिक सहभागिता के साथ मनाया गया। कार्यक्रम का उद्देश्य महिलाओं को सांस्कृतिक मूल्यों से जोड़ते हुए आत्मनिर्भरता और सामाजिक जागरूकता को बढ़ावा देना रहा। इस अवसर पर एकल विद्यालय के पदाधिकारियों, प्रशिक्षकों और विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों ने सहभागिता की। आयोजन ने परंपरा, संस्कार और महिला सशक्तिकरण के समन्वय को रेखांकित किया।
- एकल ग्रामोंथान फाउंडेशन, कोलेबिरा में तुलसी पूजन दिवस का आयोजन।
- महिला सशक्तिकरण एवं सिलाई प्रशिक्षण केंद्र में कार्यक्रम संपन्न।
- एकल विद्यालय मोबिलाइजर महेंद्र देहरी और ट्रेनर दीदी सावित्री देवी की प्रमुख भूमिका।
- भाजपा प्रखंड अध्यक्ष अशोक इंदवार सहित सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि उपस्थित।
- महिला आत्मनिर्भरता और सांस्कृतिक मूल्यों पर केंद्रित संदेश दिया गया।
कोलेबिरा प्रखंड में सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियों को बढ़ावा देने की दिशा में एकल ग्रामोंथान फाउंडेशन द्वारा यह आयोजन किया गया। महिला सशक्तिकरण एवं सिलाई प्रशिक्षण केंद्र परिसर में तुलसी पूजन के माध्यम से भारतीय परंपरा, पर्यावरण चेतना और नारी सशक्तिकरण को एक साथ जोड़ने का प्रयास किया गया। कार्यक्रम में उपस्थित अतिथियों ने इसे महिलाओं के सामाजिक और आत्मिक विकास से जुड़ा महत्वपूर्ण कदम बताया।
तुलसी पूजन दिवस का महत्व और उद्देश्य
कार्यक्रम में वक्ताओं ने तुलसी पूजन दिवस के धार्मिक, सांस्कृतिक और पर्यावरणीय महत्व पर प्रकाश डाला। बताया गया कि तुलसी भारतीय संस्कृति में शुद्धता, स्वास्थ्य और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक मानी जाती है।
एकल ग्रामोंथान फाउंडेशन के माध्यम से महिलाओं को न केवल आजीविका के साधन उपलब्ध कराए जा रहे हैं, बल्कि उन्हें अपनी परंपरा और संस्कारों से जोड़ने का भी प्रयास किया जा रहा है। तुलसी पूजन के माध्यम से यह संदेश दिया गया कि आत्मनिर्भरता के साथ-साथ सांस्कृतिक चेतना भी उतनी ही आवश्यक है।
महिला सशक्तिकरण और प्रशिक्षण केंद्र की भूमिका
महिला सशक्तिकरण एवं सिलाई प्रशिक्षण केंद्र कोलेबिरा में नियमित रूप से प्रशिक्षण गतिविधियां संचालित की जाती हैं। इस अवसर पर बताया गया कि सिलाई प्रशिक्षण के माध्यम से महिलाएं स्वरोजगार की ओर बढ़ रही हैं और आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन रही हैं।
कार्यक्रम में यह भी कहा गया कि ऐसे आयोजन महिलाओं के आत्मविश्वास को बढ़ाते हैं और उन्हें सामाजिक मंच प्रदान करते हैं, जहां वे अपनी क्षमताओं को पहचान सकें।
एकल विद्यालय और प्रशिक्षकों का योगदान
इस अवसर पर एकल विद्यालय के मोबिलाइजर महेंद्र देहरी ने कहा:
महेंद्र देहरी ने कहा: “एकल ग्रामोंथान फाउंडेशन का उद्देश्य शिक्षा, संस्कार और स्वावलंबन को एक साथ आगे बढ़ाना है, ताकि समाज की जड़ें मजबूत हो सकें।”
वहीं ट्रेनर दीदी सावित्री देवी ने महिलाओं को निरंतर सीखते रहने और अपने कौशल को आजीविका से जोड़ने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि प्रशिक्षण के साथ ऐसे सांस्कृतिक आयोजन महिलाओं में सामूहिकता और आत्मसम्मान की भावना विकसित करते हैं।
सामाजिक और राजनीतिक प्रतिनिधियों की सहभागिता
कार्यक्रम में भाजपा प्रखंड अध्यक्ष अशोक इंदवार ने महिलाओं को संबोधित करते हुए कहा कि महिला सशक्तिकरण समाज के समग्र विकास की कुंजी है। उन्होंने कहा कि महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने वाले प्रयासों को हर स्तर पर समर्थन मिलना चाहिए।
इस मौके पर बजरंग दल अध्यक्ष धनंजय झा ने भी अपने विचार साझा करते हुए भारतीय संस्कृति और परंपरा के संरक्षण पर जोर दिया।
उपस्थित अन्य प्रमुख व्यक्ति
कार्यक्रम में पूर्व सांसद प्रतिनिधि चिंतामणि कुमार, कृष्णा दास, किसान मोर्चा प्रखंड अध्यक्ष जनेश्वर बिल्हौर, हेमंत प्रसाद और कश्यप जी उपस्थित थे। सभी अतिथियों ने तुलसी पूजन में भाग लिया और महिलाओं के प्रयासों की सराहना की।
अतिथियों ने कहा कि ऐसे आयोजन ग्रामीण और प्रखंड स्तर पर सामाजिक समरसता को मजबूत करते हैं और महिलाओं को आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हैं।
सामाजिक संदेश और सामूहिक सहभागिता
तुलसी पूजन दिवस के माध्यम से यह संदेश दिया गया कि पर्यावरण संरक्षण, सांस्कृतिक मूल्यों और महिला सशक्तिकरण को एक साथ आगे बढ़ाया जा सकता है। कार्यक्रम के दौरान महिलाओं ने सामूहिक रूप से पूजन कर सकारात्मक वातावरण का निर्माण किया।
इस आयोजन ने यह भी दर्शाया कि प्रशिक्षण केंद्र केवल कौशल विकास तक सीमित नहीं हैं, बल्कि सामाजिक चेतना के केंद्र के रूप में भी कार्य कर सकते हैं।
न्यूज़ देखो: महिला सशक्तिकरण और संस्कृति का सार्थक संगम
कोलेबिरा में आयोजित यह कार्यक्रम बताता है कि महिला सशक्तिकरण केवल आर्थिक पहलुओं तक सीमित नहीं होना चाहिए। जब प्रशिक्षण, संस्कृति और सामाजिक सहभागिता एक साथ जुड़ती है, तो उसका प्रभाव व्यापक होता है। ऐसे प्रयास स्थानीय स्तर पर सकारात्मक बदलाव की नींव रखते हैं। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि भविष्य में इन गतिविधियों को किस तरह निरंतरता दी जाती है।
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सशक्त नारी से समृद्ध समाज की ओर
महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना ही नहीं, बल्कि उन्हें अपने संस्कारों और परंपराओं से जोड़ना भी आवश्यक है। ऐसे आयोजन समाज में सकारात्मक ऊर्जा और सामूहिकता को बढ़ाते हैं।





