
#डाल्टनगंज #बिजलीविभाग : दो 33 केवी फीडर को बिना प्राक्कलन स्वीकृति और अनुमति के किया गया शिफ्ट।
- हेरिटेज इंटरनेशनल स्कूल, डाल्टनगंज के पीछे दो 33 केवी फीडर (बरवाडीह व लातेहार) का बिना स्वीकृति पोल शिफ्टिंग कार्य हुआ।
- बरवाडीह फीडर में 13 मीटर रेल पोल से ऊंचाई बढ़ाई गई, जबकि लातेहार फीडर को 7 पोल लगाकर बाउंड्री से बाहर किया गया।
- कार्य में RDSS प्रोजेक्ट की सामग्री का उपयोग कर निजी लाभ के लिए किया गया बताया जा रहा है।
- कार्यपालक विद्युत अभियंता संतोष कुमार पर NCC लिमिटेड सामग्री के उपयोग का दबाव बनाने का आरोप।
- बिना प्राक्कलन स्वीकृति या अनुमति के काम कराने से JBVNL को 25–30 लाख रुपये का नुकसान।
- लातेहार फीडर से विद्युत तार चोरी की घटना पर अब तक कोई एफआईआर दर्ज नहीं।
पलामू (झारखंड), डाल्टनगंज: हेरिटेज इंटरनेशनल स्कूल के पीछे बिजली विभाग के पोल शिफ्टिंग कार्य में गंभीर वित्तीय अनियमितता और नियमों के उल्लंघन का मामला सामने आया है। दो 33 केवी फीडर — बरवाडीह और लातेहार — स्कूल की बाउंड्री के समीप से गुजर रहे थे, जिन्हें बिना किसी प्राक्कलन स्वीकृति या वरीय अधिकारी की अनुमति के शिफ्ट कर दिया गया।
बिना प्राक्कलन और स्वीकृति के कराया गया कार्य
सूत्रों के अनुसार, इस कार्य के लिए न तो डिपोजिट हेड में प्राक्कलन तैयार किया गया, न ही जेबीवीएनएल के वरीय पदाधिकारी से कोई लिखित स्वीकृति ली गई। नियमों के अनुसार, किसी भी फीडर शिफ्टिंग या पोल ट्रांसफर कार्य के लिए विस्तृत तकनीकी और वित्तीय स्वीकृति आवश्यक होती है, लेकिन इस मामले में सभी प्रक्रियाओं को दरकिनार किया गया।
RDSS परियोजना की सामग्री का गलत उपयोग
जानकारी के अनुसार, यह कार्य भारत सरकार की RDSS योजना के अंतर्गत उपलब्ध कराई गई विद्युत सामग्री का उपयोग कर किया गया। यह सामग्री निजी लाभ के लिए प्रयोग की गई, जबकि इसका उद्देश्य ग्रामीण और शहरी बिजली सुधार कार्य था।
बताया जा रहा है कि यह काम कार्यपालक विद्युत अभियंता संतोष कुमार के दबाव में NCC लिमिटेड की सामग्री से M/S YK इलेक्ट्रिक (सूचीबद्ध संवेदक) द्वारा इलेक्ट्रिक सप्लाई एरिया मेदिनीनगर के अंतर्गत कराया गया।
विद्युत तार चोरी और विभाग की निष्क्रियता
सूत्रों ने बताया कि लातेहार फीडर के कई हिस्सों में विद्युत तार अज्ञात लोगों द्वारा चोरी कर लिए गए हैं। बावजूद इसके कार्यपालक अभियंता कार्यालय, डाल्टनगंज की ओर से अब तक कोई एफआईआर दर्ज नहीं कराई गई है।
इससे स्पष्ट होता है कि विभागीय स्तर पर लापरवाही और जिम्मेदारी से बचने की कोशिश की जा रही है।
बिजली विभाग के एक कर्मचारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा: “अगर विभाग सक्रिय होता तो चोरी की घटनाओं की जांच हो सकती थी। पर यहां तो सब कुछ दबाने की कोशिश है।”
विभाग को करोड़ों की परियोजना में नुकसान का खतरा
इस पूरे प्रकरण से झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड (JBVNL) को 25 से 30 लाख रुपये के राजस्व नुकसान का अंदेशा है।
क्योंकि पोल शिफ्टिंग कार्य के लिए खर्च की गई सामग्री और श्रम लागत की कोई आधिकारिक रिकॉर्डिंग या प्राक्कलन नहीं किया गया।
ऐसे में यह खर्च पूरी तरह अनधिकृत और अवैध श्रेणी में आता है।
स्थानीय स्तर पर उठ रहे सवाल
स्थानीय लोगों और ऊर्जा क्षेत्र से जुड़े जानकारों ने इस मामले में विभागीय पारदर्शिता और जवाबदेही पर सवाल उठाए हैं।
कहा जा रहा है कि इस तरह के कार्यों से सरकारी योजनाओं की साख और पारदर्शिता पर असर पड़ता है।
एक सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा: “यदि सरकारी परियोजनाओं की सामग्री निजी उपयोग में लगाई जा रही है, तो यह जनता के धन का खुला दुरुपयोग है। इसकी जांच होनी चाहिए।”

न्यूज़ देखो: विभागीय भ्रष्टाचार का जीवंत उदाहरण
यह मामला बताता है कि किस तरह ऊर्जा विभाग की योजनाएं और सामग्री निजी हितों के लिए दुरुपयोग की जा रही हैं।
बिना स्वीकृति और अनुमति के किए गए कार्य केवल वित्तीय अनुशासन का उल्लंघन नहीं, बल्कि जनता के संसाधनों की हानि हैं।
इस प्रकरण की स्वतंत्र जांच और जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई ही पारदर्शिता का संदेश दे सकती है।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
जवाबदेही ही व्यवस्था की नींव
जब जनता का धन निजी लाभ के लिए खर्च किया जाए, तो मौन रहना भी अपराध है।
ऊर्जा विभाग के इस प्रकरण ने स्पष्ट किया है कि निगरानी और जवाबदेही के बिना योजनाएं केवल भ्रष्टाचार का माध्यम बन सकती हैं।
अब वक्त है कि आम नागरिक सवाल उठाएं, पारदर्शिता की मांग करें, और ऐसे मामलों को उजागर करने में सहयोग दें।
अपनी राय कमेंट करें, खबर साझा करें, और सच्चाई के इस संघर्ष को आगे बढ़ाएं।




