
#बरवाडीह #अवैध_केंदुपत्ता_कारोबार – अवैध केंदु पत्ता कारोबारियों के खिलाफ वन विभाग का ताबड़तोड़ अभियान, जंगल में जलाकर नष्ट किए गए लाखों के बीड़ी पत्ते
- छिपादोहर पश्चिमी रेंज में चला संयुक्त अभियान
- 20,000 बंडल पत्तियां जलाई गईं, 40 बोरा बीड़ी पत्ता जब्त
- फाड़ी और विद्यालय परिसर में संचालित था अवैध भंडारण
- तस्करों के विरुद्ध वन वाद और आर्थिक दंड की तैयारी
- कार्रवाई से तस्करों में हड़कंप, कई इलाकों में जारी है सफाई अभियान
जंगल में जलाए गए अवैध बीड़ी पत्ते
बरवाडीह। छिपादोहर पश्चिमी रेंज अंतर्गत अवैध केंदु पत्ता तस्करी के खिलाफ वन विभाग ने सोमवार को बड़ी कार्रवाई करते हुए लाखों रुपये के बीड़ी पत्तों को जंगल में जलाकर नष्ट कर दिया। यह कार्रवाई रेंजर अजय टोप्पो के निर्देश पर अंचलाधिकारी मनोज कुमार की उपस्थिति में की गई, जिसमें वनपाल रजनीश कुमार सिंह और एएसआई एन. कुमार शामिल रहे।
स्कूल के सामने और जंगल में चला तस्करों के विरुद्ध ऑपरेशन
यह अवैध भंडारण होरीलोंग पीएम श्री विद्यालय के सामने और होरीलोंग जंगल के फाड़ी क्षेत्र में संचालित हो रहा था। वन विभाग ने लगभग 20,000 बंडल से अधिक पत्तियों को मौके पर जला कर नष्ट कर दिया, जबकि करीब 40 बोरा केंदु पत्ता जब्त किया गया है। अनुमान है कि जलाए गए पत्तों की कीमत लाखों रुपये में है।
तस्करों पर होगा आर्थिक दंड और वन वाद
इस अभियान के बाद तस्करों और अवैध ठेकेदारों के विरुद्ध वन वाद दर्ज करने और आर्थिक दंड लगाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। वन अधिकारियों ने स्पष्ट कहा है कि इस प्रकार के अवैध कारोबार को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
अन्य गांवों में भी चल रहा है सफाई अभियान
छिपादोहर थाना क्षेत्र के लात, चुंगरु, अमवाटिकर, मुंडू, हरातू और हेहेगड़ा समेत कई इलाकों में अवैध रूप से केंदु पत्ता को ठिकाने लगाने का कार्य तेजी से जारी है। वन विभाग की यह सक्रियता अब इन क्षेत्रों के कारोबारियों के लिए चेतावनी बन चुकी है।
न्यूज़ देखो: जंगल बचाने की सख्त पहल
वन संपदा की लूट के खिलाफ बरवाडीह वन विभाग की यह कार्रवाई जनहित और पर्यावरण की रक्षा में एक बड़ा कदम है। इस मुहिम से न केवल अवैध तस्करों की कमर टूटी है, बल्कि प्रशासन ने यह संदेश भी दिया है कि वन अधिनियम का उल्लंघन अब भारी पड़ेगा।
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जंगल के रखवालों की सख्ती से टूटी तस्करी की कमर
वन विभाग का यह कड़ा कदम बरवाडीह और आसपास के क्षेत्र के जंगलों को बचाने की दिशा में एक अहम प्रयास है। तस्करों को रोकना ही नहीं, बल्कि प्रकृति और कानून दोनों का सम्मान भी अब आवश्यक है।
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