
#गढ़वा #स्थापना_वर्षगांठ : युवा विचारक प्रिंस कुमार सिंह ने झारखंड के पच्चीस वर्ष के सफर और संसाधनों, शिक्षा तथा रोजगार में स्थानीय वंचना पर चिंता जताई।
- प्रिंस कुमार सिंह, मास्टर ऑफ आर्ट्स इन रूरल डेवलपमेंट (MARD) के छात्र ने झारखंड की 25वीं वर्षगांठ पर राज्य की विकास यात्रा और वास्तविकताओं पर विचार साझा किया।
- उन्होंने कहा कि झारखंड के खनिज, जल, जंगल और प्राकृतिक संसाधनों पर बाहरी हस्तक्षेप आज भी जारी है, जिससे स्थानीय लोग वंचित हैं।
- शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के मामले में राज्य के अधिकांश क्षेत्रों में गंभीर कमी और प्रशासनिक व्यवधान की स्थिति है।
- प्रिंस ने बताया कि सरकारी योजनाओं ने समाधान की अपेक्षा बिचौलियों और भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया है।
- युवा ने जोर देकर कहा कि अब समय है कि 25 वर्षों के अनुभव और चुनौतियों को एक उज्जवल भविष्य की दिशा में मोड़ा जाए, जिसमें शिक्षा, रोजगार और स्वास्थ्य का संतुलित विकास सुनिश्चित हो।
गढ़वा: झारखंड राज्य अपने गठन के 25 वर्षों के बाद भी अपेक्षित विकास नहीं कर पाया है। युवा विचारक प्रिंस कुमार सिंह ने इस अवसर पर राज्य की वर्तमान स्थिति पर गंभीर चिंता जताई। उनका कहना है कि प्राकृतिक संसाधनों से संपन्न यह प्रदेश आज भी अपने लोगों के लिए पर्याप्त अवसर नहीं प्रदान कर पा रहा है। उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के क्षेत्र में जारी समस्याओं और राज्य के अंदर संसाधनों के अनुचित वितरण पर प्रकाश डाला।
संसाधनों और विकास पर बाहरी हस्तक्षेप
प्रिंस ने कहा कि झारखंड की प्राकृतिक संपन्नता के बावजूद बाहरी हस्तक्षेप और स्थानीय लोगों की वंचना आज भी जारी है। राज्य के खनिज, जंगल और जल संसाधन पर्याप्त हैं, लेकिन उनका लाभ स्थानीय समुदायों तक नहीं पहुंच पा रहा। उन्होंने यह भी बताया कि राजनीतिक खंड-खंडीकरण ने आदिवासी और गैर-आदिवासी झारखंड के बीच विभाजन पैदा किया है।
प्रिंस कुमार सिंह ने कहा: “आज 25 साल की झारखंड को देख रहा हूं सपने अब भी सिरहाने पड़े हैं। हमें अब अपने संसाधनों का सही उपयोग करना होगा और हर नागरिक तक विकास के लाभ पहुंचाने होंगे।”
शिक्षा और स्वास्थ्य में व्याप्त चुनौतियां
उन्होंने बताया कि राज्य के स्कूलों में बच्चे मिड डे मील के लिए नंगे हाथ थालियां बजाते हैं और स्वास्थ्य सेवाओं का अभाव स्थिति और गंभीर बनाता है। गरीब और बीमार नागरिक उचित चिकित्सा सेवाओं से वंचित हैं, जिससे जीवन स्तर प्रभावित हो रहा है।
रोजगार और सरकारी योजनाओं की स्थिति
प्रिंस ने कहा कि राज्य में बेरोजगारी, कुपोषण और पलायन आज भी बड़ी चुनौती हैं। सरकारी योजनाओं ने अपेक्षित समाधान के बजाय बिचौलियों और भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया है। उच्च शिक्षा और तकनीकी शिक्षा की कमी विद्यार्थियों को निराश करती है और राज्य की विकास गति को धीमा करती है।
नए झारखंड की दिशा में आशा
प्रिंस ने अपने विचार में बताया कि 25 वर्षों का अनुभव अब राज्य के भविष्य को शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य और समानता की दिशा में मोड़ने का समय है। उनका सपना है कि झारखंड का प्रत्येक नागरिक गर्व से कह सके कि वह राज्य का मूल निवासी है और संसाधनों का लाभ समान रूप से प्राप्त करता है।
न्यूज़ देखो: युवा दृष्टिकोण से झारखंड के विकास की वास्तविकता
इस रिपोर्ट से यह स्पष्ट होता है कि झारखंड के गठन के 25 वर्ष पूरे होने के बावजूद स्थानीय लोगों को संसाधनों और मूलभूत सुविधाओं से पर्याप्त लाभ नहीं मिल पाया है। युवा विचारक की चेतावनी प्रशासन और नीति निर्माताओं के लिए एक संदेश है कि अब समय है विकास को प्राथमिकता देने का।
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उम्मीद और सक्रियता के साथ झारखंड का निर्माण
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