- महिलाओं के साथ मौखिक, शारीरिक, और गैर-मौखिक उत्पीड़न को कानूनन अपराध घोषित।
- विशाखा गाइडलाइंस और पीड़िताओं के लिए मुआवजा प्रक्रिया पर विस्तार से चर्चा।
- पॉस 2013 एक्ट के तहत कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न की शिकायत की प्रक्रिया आसान।
- महिला हिंसा, बाल विवाह, और कन्या भ्रूण हत्या रोकने के लिए कानूनों पर चर्चा।
- कार्यक्रम में दर्जनों अधिकारियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की भागीदारी।
जिला स्तरीय एक कार्यक्रम के दौरान संतोष पांडेय ने महिलाओं के साथ होने वाले अश्लील व्यवहार को गंभीर अपराध बताते हुए कहा कि महिलाएं अपने अधिकारों के प्रति जागरूक रहें। उन्होंने विशाखा दिशा निर्देश, संविधान के अनुच्छेद 14, 15, और 21 के प्रावधानों पर प्रकाश डाला। साथ ही उन्होंने कहा कि डालसा (जिला विधिक सेवा प्राधिकरण) द्वारा पीड़ित महिलाओं को मुआवजा प्रदान किया जाता है।
पॉस 2013 एक्ट और कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न:
अनिता केरकेटा, जिला कार्यक्रम प्रबंधक, जेएसएलपीएस ने बताया कि पॉस 2013 एक्ट (Prevention of Sexual Harassment at Workplace) लागू होने के बाद कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न की शिकायत करना अधिक सरल हो गया है। उन्होंने कहा कि शिकायत दर्ज होने के 90 दिनों के भीतर जांच प्रक्रिया पूरी होनी चाहिए।
महिलाएं अपनी शिकायत आंतरिक शिकायत समिति को दर्ज करा सकती हैं या पुलिस स्टेशन में शिकायत कर सकती हैं। समिति के गंभीर मामलों में सीधे पुलिस को रिपोर्ट करने का अधिकार भी है।
महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने की प्रेरणा:
नई दिशाएं संस्था की सचिव इंदु भगत ने कहा कि महिलाएं खुद को कमजोर न समझें। उन्होंने महिलाओं को झूठे मुकदमे दर्ज कराने से बचने की सलाह दी और कहा, “अत्याचार करें नहीं और सहें भी नहीं।”
कानून और समाज के लिए सुझाव:
कार्यक्रम में महिला हिंसा, कन्या भ्रूण हत्या, और बाल विवाह रोकथाम के कानूनों पर भी विस्तृत चर्चा की गई। प्रतिभागियों ने महिलाओं के अधिकारों और सुरक्षा को लेकर जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया।
कार्यक्रम में उपस्थिति:
इस अवसर पर प्रवीण कुमार, नवल किशोर राजू, अवकेस खलको, बैभव कांत आदर्श, सत्यप्रिय तिवारी, अंकिता, पिंकी कुमारी, सुमन कुमारी सहित दर्जनों सामाजिक कार्यकर्ता और प्रबंधक उपस्थित थे।
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