
#महुआडांड़ #शिक्षा_संकट : वर्षों बाद भी सरकारी कॉलेज न बनने से युवाओं का भविष्य अधर में – सरकार से शीघ्र कार्रवाई की मांग
- महुआडांड़ अनुमंडल बने कई वर्ष हो गए, पर सरकारी डिग्री कॉलेज की स्थापना अब तक नहीं हुई।
- क्षेत्र में केवल निजी कॉलेज है, जिसकी उच्च फीस गरीब परिवारों की पहुंच से बाहर है।
- सरकारी वादे हर चुनाव में दोहराए जाते हैं, पर अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
- ग्रामीणों और छात्रों में नाराजगी बढ़ी, कहा – “विकास के नाम पर बस आश्वासन मिला।”
- सांसद कालीचरण सिंह और विधायक रामचंद्र सिंह से कॉलेज स्थापना की जनगुहार।
महुआडांड़, लातेहार। वर्षों बीत गए जब महुआडांड़ को अनुमंडल का दर्जा मिला था। लोगों ने उम्मीद की थी कि अब शिक्षा और विकास की नई राह खुलेगी, लेकिन आज भी यहां सरकारी डिग्री कॉलेज का सपना अधूरा है। इलाके में एक निजी कॉलेज जरूर है, पर उसकी फीस इतनी अधिक है कि गरीब परिवारों के बच्चे वहां पढ़ने का साहस तक नहीं जुटा पाते। प्रशासन और जनप्रतिनिधियों के तमाम वादों के बावजूद शिक्षा की बुनियादी सुविधा अब तक केवल कागजों पर ही सीमित है।
विकास के वादे अधूरे, कॉलेज अब भी सपना
महुआडांड़ के लोगों का कहना है कि जब अनुमंडल बना था, तब इस क्षेत्र में शिक्षा को प्राथमिकता देने की बात हुई थी। लेकिन आज तक यहां डिग्री कॉलेज की स्थापना नहीं हो पाई। सरकार ने कॉलेज भवन, शिक्षक नियुक्ति और बजट आवंटन के कई वादे किए, पर वास्तविकता यह है कि न भवन बना, न शिक्षक आए, न कोई योजना लागू हुई। यह लापरवाही अब स्थानीय जनता के लिए असहनीय होती जा रही है।
एक स्थानीय छात्रा ने भावुक होकर कहा, “हम पढ़ना चाहते हैं, आगे बढ़ना चाहते हैं, लेकिन यहां तो सरकारी कॉलेज तक नहीं है। निजी कॉलेज की फीस इतनी ज्यादा है कि वहां पढ़ना हमारे बस की बात नहीं। क्या सरकार के लिए हम इस देश के नागरिक नहीं हैं?”
गरीबी और शिक्षा के बीच फंसे युवा
यहां के अधिकांश परिवार गरीब हैं। खेतों में मेहनत करने वाले माता-पिता चाहते हैं कि उनके बच्चे पढ़-लिखकर कुछ बनें, लेकिन कॉलेज न होने से उनके सपने अधूरे रह जाते हैं। अभिभावकों का कहना है कि बच्चों को पढ़ाने के लिए बाहर भेजना उनके बस की बात नहीं। “हमने सोचा था कि कॉलेज खुलेगा तो हमारे बच्चे भी आगे बढ़ेंगे। पर लगता है, इस व्यवस्था में गरीब का बच्चा मजदूर बनने के लिए ही पैदा होता है,” एक स्थानीय पिता ने कहा।
प्रतिभा की कमी नहीं, अवसरों की कमी है
महुआडांड़ की मिट्टी में प्रतिभा की कोई कमी नहीं। यहां के बच्चे मेधावी हैं, लेकिन अवसरों के अभाव ने उनकी उड़ान को रोक दिया है। शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि अगर सरकारी कॉलेज खुल जाए तो यहां के छात्र-छात्राएं भी डॉक्टर, इंजीनियर, अफसर बन सकते हैं। पर वर्तमान स्थिति यह है कि उन्हें या तो दूसरे जिलों का रुख करना पड़ता है या फिर अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़नी पड़ती है।
जनता की आवाज़ सरकार तक पहुंची
महुआडांड़ अनुमंडल के लोगों ने अब अपनी मांग को आवाज़ देना शुरू किया है। छात्र संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने चतरा सांसद कालीचरण सिंह और मनिका विधायक रामचंद्र सिंह से मुलाकात कर मांग की है कि क्षेत्र में जल्द से जल्द एक सरकारी डिग्री कॉलेज की स्थापना की जाए। ग्रामीणों ने कहा कि यदि कॉलेज खुल जाता है तो क्षेत्र के युवाओं को उज्जवल भविष्य मिलेगा और यह इलाका शिक्षा का केंद्र बन सकता है।
स्थानीय बुद्धिजीवियों का कहना है कि शिक्षा ही किसी समाज के विकास की बुनियाद है। जब तक युवाओं को अवसर नहीं मिलेगा, तब तक विकास केवल भाषणों और नारों तक सीमित रहेगा।
न्यूज़ देखो: शिक्षा के बिना अधूरा विकास
महुआडांड़ का यह उदाहरण सरकार के उस वादे पर सवाल खड़ा करता है जिसमें कहा गया था कि हर अनुमंडल में उच्च शिक्षा की सुविधा सुनिश्चित की जाएगी। जब तक कॉलेज नहीं खुलेगा, तब तक यहां का विकास अधूरा रहेगा और युवा पलायन को मजबूर रहेंगे। अब समय है कि शिक्षा विभाग इस मांग पर तत्काल संज्ञान ले और कार्रवाई करे।
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शिक्षा से बदलता है समाज
शिक्षा केवल डिग्री नहीं, बल्कि विकास की दिशा तय करने वाला साधन है। अब समय आ गया है कि हम सब मिलकर महुआडांड़ जैसे क्षेत्रों के युवाओं के अधिकार की आवाज़ बुलंद करें। हर बच्चे को पढ़ने और आगे बढ़ने का समान अवसर मिलना चाहिए। सजग रहें, सक्रिय बनें। अपनी राय कमेंट करें, इस खबर को साझा करें और जिम्मेदारी निभाएं ताकि आने वाली पीढ़ी एक शिक्षित और सशक्त समाज में जी सके।




