
#लातेहार #शिक्षा_सुधार : मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के निर्देश पर “नेतरहाट विद्यालय प्रबंधन एवं संचालन नियमावली 2025” तैयार — शिक्षा और प्रशासन दोनों स्तरों पर बड़ा बदलाव
- मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के निर्देश पर तैयार हुई नेतरहाट विद्यालय प्रबंधन एवं संचालन नियमावली 2025।
- छात्राओं के लिए 33% सीटें आरक्षित, अब कुल सीटें 100 से बढ़ाकर 300 होंगी।
- स्कूल संचालन के लिए तीन स्तरीय निकायों का गठन किया जाएगा — शीर्ष, सामान्य और कार्यकारिणी समिति।
- मुख्यमंत्री होंगे शीर्ष निकाय के अध्यक्ष, शिक्षा मंत्री उपाध्यक्ष, और कई सचिव रहेंगे सदस्य।
- वित्तीय प्रबंधन में भी सुधार, व्यय सीमा के अनुसार जिला और राज्य स्तर पर निर्णय का अधिकार।
लातेहार जिले के महुआडांड़ स्थित नेतरहाट विद्यालय में प्रशासनिक और शैक्षणिक सुधार की दिशा में बड़ा कदम उठाया गया है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के निर्देश पर राज्य सरकार ने “नेतरहाट विद्यालय प्रबंधन एवं संचालन नियमावली 2025” को तैयार किया है। इस नियमावली का उद्देश्य स्कूल की शिक्षा गुणवत्ता में गिरावट को रोकना, योग्य शिक्षकों की नियुक्ति सुनिश्चित करना और नेतरहाट को फिर से अपनी गौरवशाली परंपरा में स्थापित करना है।
शिक्षा सुधार की नई दिशा
नई नियमावली के तहत अब विद्यालय में 33 प्रतिशत सीटें छात्राओं के लिए आरक्षित होंगी। साथ ही, कुल सीटों की संख्या 100 से बढ़ाकर 300 कर दी जाएगी ताकि अधिक बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का अवसर मिल सके। यह बदलाव राज्य सरकार की ‘समान शिक्षा-समान अवसर’ की नीति को मजबूत करेगा।
संचालन के लिए तीन स्तरीय व्यवस्था
विद्यालय के सुचारु संचालन के लिए सरकार ने तीन स्तरों पर निकायों के गठन की घोषणा की है — शीर्ष निकाय, सामान्य निकाय और कार्यकारिणी समिति।
शीर्ष निकाय का नेतृत्व स्वयं मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन करेंगे, जबकि उपाध्यक्ष शिक्षा मंत्री होंगे। इसके अलावा, मुख्य सचिव, विकास आयुक्त, वित्त सचिव, शिक्षा सचिव, उच्च शिक्षा सचिव, आईटी सचिव और विद्यालय के प्राचार्य सदस्य रहेंगे। दो वर्ष के लिए नामित सदस्य भी इसमें शामिल किए जाएंगे।
यह निकाय विद्यालय की नीतियों का निर्धारण, नियुक्तियों पर निर्णय, विकास कार्यों की स्वीकृति और वित्तीय निगरानी जैसे महत्वपूर्ण कार्य करेगा।
वित्तीय प्रबंधन में पारदर्शिता और विकेंद्रीकरण
नई नियमावली के तहत वित्तीय प्रबंधन में भी महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं।
- विद्यालय स्तर पर 20 लाख रुपये तक,
- जिला स्तर पर 21 से 50 लाख रुपये तक,
- और राज्य स्तर पर 50 लाख रुपये से अधिक के व्यय का निर्णय संबंधित स्तर पर लिया जाएगा।
इस व्यवस्था से निर्णय प्रक्रिया तेज होगी और स्कूल विकास कार्यों में पारदर्शिता आएगी।
घटती शिक्षा गुणवत्ता को लेकर चिंता
पिछले कुछ वर्षों में नेतरहाट विद्यालय में रिजल्ट में गिरावट, रिक्त पदों और अनुबंध आधारित नियुक्तियों के कारण शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित हुई थी। यह वही कारण था जिसकी वजह से मुख्यमंत्री ने नियमावली तैयार करने का निर्देश दिया।
अब नए प्रावधानों से उम्मीद है कि विद्यालय में शिक्षकों की नियुक्तियां समय पर होंगी और शैक्षणिक माहौल फिर से सशक्त बनेगा।
पूरे झारखंड में खुशी की लहर
इस निर्णय से न केवल लातेहार बल्कि पूरे झारखंड में उत्साह का माहौल है। नेतरहाट विद्यालय, जिसे कभी देश के सर्वश्रेष्ठ आवासीय विद्यालयों में गिना जाता था, अब एक बार फिर उसी दिशा में अग्रसर है। अभिभावकों और शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की यह पहल झारखंड की शिक्षा प्रणाली में ऐतिहासिक सुधार लाएगी।
न्यूज़ देखो: नेतरहाट की गौरवशाली परंपरा लौटाने की पहल
सरकार का यह कदम न केवल एक संस्थान के सुधार की दिशा में है, बल्कि यह झारखंड की शिक्षा नीति में विश्वास बहाली का संकेत भी है। छात्राओं को 33% आरक्षण देना राज्य में लैंगिक समानता और शैक्षणिक सशक्तिकरण का मजबूत संदेश है। अगर यह सुधार सफल रहा, तो नेतरहाट फिर से राष्ट्रीय स्तर पर आदर्श शिक्षा संस्थान के रूप में पहचान बना सकता है।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
शिक्षा से सशक्त झारखंड, समान अवसर सबके लिए
यह पहल बताती है कि शिक्षा में सुधार ही राज्य के उज्जवल भविष्य की नींव है। अब समय है कि समाज, शिक्षक और प्रशासन मिलकर इस बदलाव को सार्थक बनाएं।
आइए, इस सकारात्मक कदम का समर्थन करें — अपनी राय कमेंट करें और इस खबर को साझा करें ताकि यह संदेश हर झारखंडवासी तक पहुंचे।



