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बेतला नेशनल पार्क के मुख्य द्वार पर गंदगी का अंबार, स्वच्छ पर्यटन के दावे पर उठे सवाल

#बरवाडीह #पर्यटन_व्यवस्था : बेतला पार्क के मेन गेट के पास फैली गंदगी से पर्यटक परेशान।

लातेहार जिले के बेतला नेशनल पार्क के मुख्य प्रवेश द्वार के पास गंदगी का अंबार फैला हुआ है, जिससे आने-जाने वाले पर्यटक और स्थानीय लोग नाराज हैं। सड़क किनारे प्लास्टिक कचरे और उपयोग की गई वस्तुओं का ढेर पर्यटन स्थल की छवि को नुकसान पहुंचा रहा है। स्वच्छता शुल्क वसूले जाने के बावजूद सफाई व्यवस्था पर सवाल खड़े हो रहे हैं। यह स्थिति वन विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर प्रश्नचिह्न लगाती है।

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  • बेतला नेशनल पार्क मेन गेट के पास सड़क किनारे फैली गंदगी।
  • प्लास्टिक प्लेट, बोतल, ग्लास, पॉलिथीन खुले में पड़े।
  • पर्यटकों से वसूले जा रहे सफाई शुल्क पर सवाल।
  • वन विभाग की लापरवाही से नाराज लोग।
  • प्रसिद्ध पर्यटन स्थल की छवि हो रही धूमिल।

लातेहार जिले के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल बेतला नेशनल पार्क के मुख्य प्रवेश द्वार के समीप फैली गंदगी इन दिनों चर्चा का विषय बनी हुई है। पार्क के मेन गेट के पास सड़क किनारे कूड़े-कचरे का अंबार लगा हुआ है, जिसे देखकर यहां से गुजरने वाले पर्यटक और स्थानीय लोग वन प्रबंधन को कोसते नजर आ रहे हैं। स्वच्छ और प्राकृतिक वातावरण के लिए पहचाने जाने वाले बेतला जैसे राष्ट्रीय उद्यान में इस तरह की अव्यवस्था लोगों को हैरान कर रही है।

स्थानीय लोगों का कहना है कि बेतला नेशनल पार्क न केवल लातेहार बल्कि पूरे झारखंड का एक प्रमुख पर्यटन केंद्र है। यहां हर दिन बड़ी संख्या में पर्यटक पहुंचते हैं। बावजूद इसके, पार्क के मुख्य द्वार के आसपास गंदगी का यह हाल पर्यटन विकास और स्वच्छता के दावों की पोल खोल रहा है।

सड़क किनारे फैला कचरा, बदबू से लोग परेशान

बेतला पार्क के मेन गेट के समीप सड़क के दोनों किनारों पर प्लास्टिक की प्लेटें, थालियां, बोतलें, ग्लास, पॉलिथीन और अन्य उपयोग की गई वस्तुएं खुले में फेंकी हुई नजर आती हैं। कई स्थानों पर कचरे के ढेर से बदबू भी उठ रही है, जिससे वहां रुकना तक मुश्किल हो रहा है।

पर्यटकों का कहना है कि वे प्राकृतिक सौंदर्य और साफ वातावरण की उम्मीद लेकर यहां आते हैं, लेकिन प्रवेश द्वार पर ही गंदगी देखकर उनका अनुभव खराब हो जाता है। कुछ पर्यटकों ने यह भी कहा कि इस स्थिति से बच्चों और बुजुर्गों को सबसे अधिक परेशानी होती है।

स्वच्छता शुल्क के औचित्य पर सवाल

सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब पार्क प्रशासन साफ-सफाई पर ध्यान नहीं दे रहा, तो फिर पर्यटकों से सफाई शुल्क क्यों वसूला जा रहा है। लोगों का कहना है कि पार्क में प्रवेश के दौरान पर्यटकों से स्वच्छता और रखरखाव के नाम पर शुल्क लिया जाता है, लेकिन जमीनी हकीकत इससे बिल्कुल उलट नजर आती है।

स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया कि सफाई के नाम पर केवल औपचारिकता निभाई जा रही है। पार्क के भीतर और खासकर मुख्य द्वार के आसपास नियमित सफाई की कोई व्यवस्था नजर नहीं आती।

वन विभाग पर लापरवाही के आरोप

लोगों का आरोप है कि वन विभाग के अधिकारी इस गंभीर समस्या को नजरअंदाज कर रहे हैं। गंदगी लंबे समय से जमा है, लेकिन इसे हटाने की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा। इससे न केवल पर्यावरण को नुकसान हो रहा है, बल्कि बेतला पार्क की पहचान भी प्रभावित हो रही है।

स्थानीय व्यवसायियों का कहना है कि पर्यटन पर निर्भर उनकी आजीविका भी इससे प्रभावित हो रही है। अगर पर्यटक गंदगी देखकर निराश होंगे, तो वे दोबारा यहां आना पसंद नहीं करेंगे।

प्लास्टिक कचरे से पर्यावरण को खतरा

प्लास्टिक कचरा केवल सौंदर्य को ही नुकसान नहीं पहुंचा रहा, बल्कि वन्यजीवों और पर्यावरण के लिए भी गंभीर खतरा बन सकता है। खुले में पड़े प्लास्टिक को जानवर खाने की कोशिश कर सकते हैं, जिससे उनकी जान को भी खतरा हो सकता है।

पर्यावरण प्रेमियों का कहना है कि राष्ट्रीय उद्यान जैसे संवेदनशील क्षेत्र में प्लास्टिक प्रबंधन को लेकर सख्त नियम लागू होने चाहिए और उनका पालन भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए।

स्थानीय लोगों की मांग

स्थानीय ग्रामीणों और पर्यटकों ने वन विभाग से मांग की है कि बेतला नेशनल पार्क के मुख्य द्वार और आसपास के क्षेत्रों में नियमित सफाई व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। साथ ही कचरा प्रबंधन के लिए डस्टबिन, चेतावनी बोर्ड और निगरानी की व्यवस्था की जाए।

लोगों का यह भी कहना है कि केवल शुल्क वसूलना ही नहीं, बल्कि उसके अनुरूप सुविधाएं और स्वच्छता भी उपलब्ध कराई जानी चाहिए।

न्यूज़ देखो: पर्यटन छवि बचाने की चुनौती

बेतला नेशनल पार्क जैसे प्रतिष्ठित पर्यटन स्थल पर गंदगी का अंबार प्रशासनिक लापरवाही को उजागर करता है। स्वच्छ पर्यटन की बात तभी सार्थक होगी जब जमीनी स्तर पर सफाई व्यवस्था मजबूत होगी। शुल्क वसूलने के साथ-साथ जवाबदेही भी तय करना जरूरी है। अब यह देखना अहम होगा कि वन विभाग इस ओर कितनी गंभीरता से कदम उठाता है। हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

स्वच्छ पर्यटन के लिए साझा जिम्मेदारी

पर्यटन स्थलों की सुंदरता और स्वच्छता हम सभी की जिम्मेदारी है। प्रशासन के साथ-साथ पर्यटकों को भी कचरा इधर-उधर फेंकने से बचना चाहिए। अगर समय रहते सफाई और निगरानी नहीं हुई, तो प्राकृतिक धरोहरों को नुकसान तय है।
इस मुद्दे पर आपकी क्या राय है? अपनी बात कमेंट में रखें, खबर को साझा करें और स्वच्छ पर्यटन का संदेश आगे बढ़ाएं।

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