
#चंदवा #जनसेवा : पीवीटीजी आदिम जनजाति परहैया टोला में आर शरण संस्था ने लगाया स्वास्थ्य शिविर।
- आर शरण संस्था ने चटुआग (कामता पंचायत, चंदवा) के परहैया टोला में स्वास्थ्य शिविर आयोजित किया।
- शिविर में 110 ग्रामीणों, जिनमें 80 से अधिक पीवीटीजी समुदाय के सदस्य, की स्वास्थ्य जांच की गई।
- डॉ. अखिलेश्वर प्रसाद समेत चिकित्सकों ने करीब एक किलोमीटर पैदल चलकर गांव पहुंचकर सेवा दी।
- जांच में टीबी, कुष्ठ, लिवर, एनीमिया, कुपोषण और हड्डियों की कमजोरी जैसी बीमारियां पाई गईं।
- ग्रामीणों को दवाइयां, ग्लूकोज़, आयरन सप्लीमेंट, हेल्थ टॉनिक और कंबल दिए गए।
- आर. शरण संस्था ने घोषणा की कि वह आगे भी पीवीटीजी टोलों में स्वास्थ्य और शिक्षा मिशन जारी रखेगी।
चंदवा (लातेहार): कामता पंचायत के सांसद आदर्श ग्राम चटुआग के परहैया टोला में रविवार को स्वर्गीय डॉ. रमेश शरण (पूर्व कुलपति, विनोबा भावे विश्वविद्यालय) की स्मृति में आर शरण संस्था द्वारा एक निःशुल्क स्वास्थ्य शिविर आयोजित किया गया। यह शिविर न केवल चिकित्सा सेवा बल्कि जनसहभागिता और सेवा भावना का भी जीवंत उदाहरण बना।
दुर्गम पहाड़ी क्षेत्र में पैदल पहुंचा चिकित्सा दल
लातेहार सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ. अखिलेश्वर प्रसाद अपनी टीम और परिवार सहित करीब एक किलोमीटर पैदल चलकर परहैया टोला पहुंचे क्योंकि वहां तक सड़क सुविधा नहीं है। उनकी यह पहल ग्रामीण सेवा के प्रति समर्पण की मिसाल पेश करती है।
डॉ. अखिलेश्वर प्रसाद ने कहा: “यह हमारा कर्तव्य है कि जो लोग चिकित्सा सुविधा से दूर हैं, उन्हें स्वास्थ्य अधिकार की अनुभूति कराई जाए।”
110 ग्रामीणों की जांच, गंभीर बीमारियों का हुआ पता
शिविर में लगभग 110 ग्रामीणों की स्वास्थ्य जांच की गई, जिनमें 80 से अधिक परहैया समुदाय के सदस्य शामिल थे।
जांच में कुपोषण, एनीमिया, त्वचा रोग, टीबी, कुष्ठ, लिवर रोग और हड्डियों की कमजोरी जैसे लक्षण पाए गए।
सभी को आवश्यक दवाइयां, हेल्थ टॉनिक, आयरन सप्लीमेंट और ग्लूकोज़ पैकेट वितरित किए गए।
डॉ. अमरनाथ प्रसाद (सेवानिवृत्त चिकित्सा पदाधिकारी) ने कहा: “पीवीटीजी समुदाय के लोग अब भी बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाओं से दूर हैं। यह पहल उन तक चिकित्सा का हाथ बढ़ाने का प्रयास है।”
चिकित्सकों ने परिवार संग दी सेवा
शिविर में डॉ. अमरनाथ प्रसाद और उनकी पत्नी रीना देवी, डॉ. अखिलेश्वर प्रसाद और उनकी पत्नी पुष्पा देवी, डॉ. अलीशा टोप्पो (बालूमाथ स्वास्थ्य केंद्र) और उनके पति आलोक टोप्पो, प्रयोगशाला तकनीशियन चंदन कुमार, मुजाहिद खान (DMLT), नागेंद्र (ईसीजी तकनीशियन) और अर्मान (एक्स-रे तकनीशियन) ने नि:स्वार्थ सेवा दी।
डॉ. प्रसाद के पुत्र अभिषेक कुमार, पुत्रवधू प्रियंका देवी, पोती शिवांशी और पोते श्रेष्ठ कुमार ने भी सक्रिय भागीदारी की। शिविर के अंत में श्रेष्ठ कुमार के चौथे जन्मदिन पर वृद्ध पीवीटीजी लोगों को कंबल और बच्चों को चॉकलेट वितरित किए गए — यह सेवा और संवेदना का प्रेरणादायी प्रतीक बना।
संगठन और सहयोगियों की सराहनीय भूमिका
शिविर संचालन में चंदन कुमार (रांची), मुजाहिद आलम (बालूमाथ), नागेंद्र कुमार, अरमान, और रेहान (चंदवा) का सहयोग रहा।
आर शरण संस्था की सदस्य उषा कुमारी और स्वयंसेवक जिदन टोपनो ने पंजीकरण का कार्य संभाला।
संस्था की प्रबंधक सुश्री नेहा प्रसाद ने कहा कि डॉ. रमेश शरण की स्मृति में यह शिविर “ज्ञान के सामाजिक उपयोग” की अवधारणा को मूर्त रूप देता है।
नेहा प्रसाद ने कहा: “हम जल्द ही जिले के सभी पीवीटीजी टोलों तक पहुंचने का प्रयास करेंगे। शिक्षा और स्वास्थ्य — दोनों ही समान अधिकार हैं।”
समाज का सहयोग और भविष्य की योजनाएं
संस्था ने घोषणा की कि आने वाले महीनों में कामता पंचायत के 6 से 18 वर्ष आयु वर्ग के पीवीटीजी बच्चों की शैक्षणिक स्थिति का मूल्यांकन किया जाएगा। इससे सरकार को जमीनी शिक्षा स्थिति समझने में मदद मिलेगी।
शिविर में पीवीटीजी परिवारों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति और सरकारी योजनाओं के लाभ की पहुंच से संबंधित जानकारी भी एकत्र की गई।
पंचायत समिति सदस्य अयूब खान ने कहा: “आर शरण संस्था और चिकित्सा दल ने जो कार्य किया है, वह सराहनीय और अनुकरणीय है।”
इस शिविर की सफलता में मुखिया नरेश भगत, ममता देवी, वार्ड सदस्य सावन परहैया, सुधीर प्रसाद, मुकेश साव, स्वास्थ्य सहिया सोमरमनी देवी, मुनीता देवी, सनीका मुंडा, बीनोद परहैया, राजकुमार परहैया, बिफैया परहैया का विशेष योगदान रहा।

न्यूज़ देखो: जनसहभागिता का जीवंत उदाहरण
यह शिविर बताता है कि जब समाज, डॉक्टर और संस्थान मिलकर काम करते हैं, तो सबसे दूरस्थ और वंचित समुदायों तक भी सेवा पहुंचाई जा सकती है। यह जनसहयोग और संवेदना की मिसाल है, जिसने स्वास्थ्य सेवा को केवल सरकारी नहीं बल्कि मानवीय बना दिया।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
स्वास्थ्य ही सेवा, सेवा ही धर्म
चिकित्सा केवल इलाज नहीं, यह करुणा और सामाजिक जिम्मेदारी का प्रतीक है। आर शरण संस्था का यह कदम हमें याद दिलाता है कि असली विकास तभी संभव है जब अंतिम व्यक्ति तक सुविधा पहुंचे।
आइए, ऐसे प्रयासों को आगे बढ़ाने के लिए समाज में सहयोग और जागरूकता की भावना जगाएं।
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