
#हुसैनाबाद #सड़क_निर्माण : सीआरएफ योजना के तहत बन रही सड़क में घटिया गुणवत्ता और तकनीकी लापरवाही के आरोप।
पलामू जिले के हुसैनाबाद क्षेत्र में केंद्रीय सड़क निधि के तहत स्वीकृत भजनिया से हैदरनगर तक सड़क पुनर्निर्माण कार्य में भारी अनियमितताओं के आरोप सामने आए हैं। पथ निर्माण विभाग द्वारा क्रियान्वित करोड़ों रुपये की इस योजना में गुणवत्ता मानकों की अनदेखी, तकनीकी खामियां और धीमी प्रगति को लेकर सवाल उठ रहे हैं। स्थानीय लोगों और जनप्रतिनिधियों ने निर्माण कार्य की निष्पक्ष जांच और दोषियों पर कार्रवाई की मांग की है। यह मामला सार्वजनिक धन के उपयोग और सड़क सुरक्षा से सीधे जुड़ा हुआ है।
- केंद्रीय सड़क निधि (सीआरएफ) के तहत भजनिया–हैदरनगर सड़क पुनर्निर्माण कार्य विवादों में।
- करीब 92 करोड़ रुपये की प्रशासनिक स्वीकृति, 64.43 करोड़ की एकरारनामा राशि।
- निर्माण में घटिया बालू-गिट्टी और तकनीकी मानकों की अनदेखी का आरोप।
- अब तक 24 करोड़ रुपये खर्च, लेकिन भौतिक प्रगति बेहद कम।
- जनवरी 2026 निर्धारित समयसीमा, समय पर पूर्णता पर संदेह।
पलामू जिले में बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के उद्देश्य से शुरू की गई भजनिया–हैदरनगर सड़क परियोजना अब भ्रष्टाचार और लापरवाही के आरोपों से घिरती नजर आ रही है। करोड़ों रुपये खर्च होने के बावजूद सड़क निर्माण की स्थिति स्थानीय लोगों को असंतोषजनक लग रही है।
स्थानीय स्तर पर सामने आई तस्वीरें और जानकारी इस बात की ओर इशारा कर रही हैं कि योजना का क्रियान्वयन न तो प्राक्कलन के अनुरूप हो रहा है और न ही गुणवत्ता मानकों का पालन किया जा रहा है।
करोड़ों की योजना, घटिया निर्माण पर सवाल
यह सड़क परियोजना केंद्रीय सड़क निधि (सीआरएफ) के अंतर्गत स्वीकृत है, जिसका संदर्भ संख्या सीआरएफ-जेएचआर-2022-23/63 है। इसे पथ निर्माण विभाग, पथ प्रमंडल, डालटनगंज द्वारा क्रियान्वित किया जा रहा है। इस योजना की प्राक्कलित प्रशासनिक स्वीकृति राशि लगभग 9203.09 लाख रुपये (92.03 करोड़) निर्धारित की गई थी, जबकि एकरारनामा राशि 6443.54 लाख रुपये (64.43 करोड़) तय की गई।
इतनी बड़ी राशि वाली इस परियोजना में प्रारंभिक चरण से ही गुणवत्ता को लेकर सवाल उठने लगे हैं, जिससे आम जनता में नाराजगी बढ़ती जा रही है।
संवेदक पर गंभीर आरोप
स्थानीय लोगों के अनुसार इस सड़क का निर्माण डुआर्स कंस्ट्रक्शन कंपनी, अलीपुरद्वार (पश्चिम बंगाल) द्वारा किया जा रहा है। आरोप है कि संवेदक द्वारा प्राक्कलन और तकनीकी मानकों के अनुरूप कार्य नहीं किया जा रहा।
सबसे गंभीर आरोप यह है कि सड़क निर्माण में मिक्सचर मशीन में पानी डालकर मानक मिश्रण तैयार करने के बजाय सूखा मिश्रण सीधे सड़क पर बिछाया जा रहा है, जो तकनीकी नियमों का खुला उल्लंघन है। इसके अलावा आवश्यक मात्रा में बालू और गिट्टी का भी उपयोग नहीं किया जा रहा।
निचली परत में भी भारी गड़बड़ी
निर्माण कार्य की निचली परत यानी जीएसबी (ग्रेन्युलर सब-बेस) में भी गंभीर खामियां बताई जा रही हैं। आरोप है कि इसमें डब्ल्यूएमएम (वेट मिक्स मैकाडम) का प्रयोग नहीं किया जा रहा, जिससे सड़क की मजबूती पर सीधा असर पड़ेगा।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह का घटिया निर्माण कार्य भारी वाहनों के दबाव में सड़क को बहुत जल्द क्षतिग्रस्त कर सकता है। यदि समय रहते सुधार नहीं हुआ, तो यह सड़क कुछ ही वर्षों में जर्जर हो सकती है।
धीमी प्रगति और खर्च पर सवाल
परियोजना से जुड़े सूत्रों के अनुसार अब तक करीब 24 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं, लेकिन इसके मुकाबले भौतिक प्रगति अत्यंत कम बताई जा रही है। सड़क निर्माण की मौजूदा स्थिति देखकर यह अंदेशा जताया जा रहा है कि जनवरी 2026 तक कार्य पूरा हो पाना मुश्किल है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि जिस गति और गुणवत्ता से काम हो रहा है, उससे यह परियोजना समयसीमा और उद्देश्य दोनों से भटकती नजर आ रही है।
जल निकासी की अनदेखी का आरोप
झामुमो के वरीय नेता राम प्रवेश सिंह ने सड़क निर्माण में गंभीर तकनीकी गड़बड़ियों का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि इस पथ के निर्माण में अधोरा माइनर को मिट्टी से भरकर समतल कर दिया गया, और नवत्लेया आहर तथा लगड़ी आहर के बीच सड़क को क्रॉस कराया गया, लेकिन पानी की निकासी की कोई व्यवस्था नहीं की गई।
उन्होंने आरोप लगाया कि इस कारण सड़क के कई हिस्सों में जलजमाव और भविष्य में टूट-फूट की स्थिति बन गई है।
राम प्रवेश सिंह ने कहा:
“जब इन तकनीकी समस्याओं के समाधान की बात की गई, तो संवेदक के साइड इंचार्ज अभय सिंह ने यह कहकर पल्ला झाड़ लिया कि प्राक्कलन में कोई व्यवस्था नहीं है।”
अधिकारियों की भूमिका पर भी सवाल
राम प्रवेश सिंह ने आगे आरोप लगाया कि इस तकनीकी गड़बड़ी की सूचना कार्यपालक अभियंता (आरसीडी) पलामू अनिल कुमार को दी गई थी। उन्होंने पहले आने की बात कही, लेकिन बाद में न तो मौके पर पहुंचे और न ही फोन उठाया।
उनका कहना है कि अब इस पूरे मामले की शिकायत संबंधित पदाधिकारियों के साथ-साथ मुख्यमंत्री तक की जाएगी, ताकि दोषी संवेदक पर कार्रवाई हो और सड़क की गुणवत्ता में सुधार हो सके।
जांच और कार्रवाई की मांग
स्थानीय लोगों और जनप्रतिनिधियों ने एक स्वर में मांग की है कि इस सड़क निर्माण कार्य की तकनीकी और वित्तीय जांच कराई जाए। साथ ही यह सुनिश्चित किया जाए कि कार्य एकरारनामा और प्राक्कलन के अनुरूप हो।
लोगों का कहना है कि यदि समय रहते सख्त कदम नहीं उठाए गए, तो यह योजना जनता के लिए लाभकारी होने के बजाय सरकारी धन की बर्बादी साबित होगी।
न्यूज़ देखो: करोड़ों की सड़क योजना पर जवाबदेही जरूरी
भजनिया–हैदरनगर सड़क निर्माण में सामने आए आरोप यह दर्शाते हैं कि निगरानी और जवाबदेही के बिना विकास योजनाएं सवालों के घेरे में आ जाती हैं। प्रशासन और विभागीय अधिकारियों के लिए यह आवश्यक है कि वे समय रहते गुणवत्ता की जांच करें और दोषियों पर कार्रवाई करें। अब देखने वाली बात होगी कि शिकायतों के बाद जांच कब और कैसे होती है। हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
विकास तभी सार्थक, जब गुणवत्ता हो मजबूत
सड़कें केवल रास्ते नहीं, विकास की रीढ़ होती हैं। घटिया निर्माण से जनता की सुरक्षा और सरकारी धन दोनों खतरे में पड़ते हैं। इस खबर पर अपनी राय साझा करें, इसे अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाएं और जवाबदेही की आवाज को मजबूत बनाएं।





