Palamau

प्राकृतिक सौंदर्य से सजा तोलरा सतबहिनी नदी क्षेत्र, पिकनिक के लिए अद्भुत लेकिन उपेक्षा का शिकार

#विश्रामपुर #सतबहिनी_नदी : पलामू के तोलरा गांव में बहती सतबहिनी नदी का नैसर्गिक दृश्य मन मोह लेता है, पर जनप्रतिनिधियों की निष्क्रियता से यह स्थल आज भी उपेक्षित है।

पलामू जिले के विश्रामपुर प्रखंड अंतर्गत तोलरा गांव में बह रही सतबहिनी नदी अपने अद्भुत प्राकृतिक सौंदर्य के कारण हर आने-जाने वाले को आकर्षित करती है। तोलरा–कधवन मुख्य मार्ग के बीच स्थित यह स्थान पिकनिक और प्रकृति प्रेमियों के लिए अत्यंत उपयुक्त है। ऊंचाई से गिरता जलप्रपात, नदी के बीच रहस्यमयी कुंड और चारों ओर बिखरी पत्थरों की प्राकृतिक आकृतियां इसे विशेष बनाती हैं। बावजूद इसके, स्थानीय स्तर पर पहल के अभाव में यह स्थान आज भी उपेक्षित नजर आता है।

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  • तोलरा गांव, विश्रामपुर प्रखंड में बहती है सुंदर सतबहिनी नदी
  • लगभग 25 फीट ऊंचाई से गिरता पानी देता है मानसिक शांति का अनुभव।
  • नदी के बीच मौजूद सात कुंड, जिनकी गहराई आज भी रहस्य बनी हुई है।
  • राहगीर और पर्यटक यहां फोटोग्राफी और पिकनिक के लिए रुकते हैं।
  • जनप्रतिनिधियों की लापरवाही से पर्यटन स्थल के रूप में विकास नहीं

पलामू जिले का विश्रामपुर प्रखंड प्राकृतिक दृष्टि से समृद्ध क्षेत्रों में गिना जाता है, और इसी प्रखंड का तोलरा गांव इसकी एक जीवंत मिसाल है। गांव के बीचोंबीच बहती सतबहिनी नदी का दृश्य इतना मनोरम है कि राह चलते लोग अनायास ही रुक जाते हैं। तोलरा–कधवन मुख्य मार्ग से गुजरने वाले राहगीर यहां की सुंदरता से प्रभावित होकर फोटो खींचते और कुछ पल प्रकृति के सान्निध्य में बिताते देखे जा सकते हैं।

ऊंचाई से गिरता जल और शांति का अनुभव

सतबहिनी नदी की सबसे बड़ी विशेषता है लगभग 25 फीट ऊंचाई से गिरता जलप्रवाह। ऊपर से गिरता पानी जब नीचे चट्टानों से टकराता है, तो उसकी गूंज और ठंडक मन को अद्भुत शांति प्रदान करती है। स्थानीय लोगों का मानना है कि इस स्थान पर पहुंचते ही मन स्वतः शांत हो जाता है और ऐसा प्रतीत होता है मानो किसी देवी-देवता का आशीर्वाद यहां स्थायी रूप से विद्यमान हो।

रहस्यमयी सात कुंड और लोकआस्था

नदी की धारा के बीच स्थित सात कुंड इस स्थान को और भी रहस्यमयी बनाते हैं। ग्रामीणों के अनुसार इन कुंडों की गहराई आज तक मापी नहीं जा सकी है। कहा जाता है कि कई खाटियों की रस्सी जोड़ने के बाद भी इसकी गहराई का अनुमान नहीं लग पाया। इसी लोकविश्वास के कारण आज भी स्थानीय लोग इन कुंडों में स्नान करने से परहेज करते हैं। यह रहस्य और आस्था मिलकर सतबहिनी नदी को केवल एक प्राकृतिक स्थल नहीं, बल्कि सांस्कृतिक महत्व का स्थान भी बनाते हैं।

पत्थरों की कलाकृतियां और प्राकृतिक संरचना

नदी के किनारे और बीचोंबीच फैली पत्थरों की प्राकृतिक आकृतियां इस क्षेत्र को और आकर्षक बनाती हैं। बड़े-बड़े पत्थर, उनकी अनोखी बनावट और उनके बीच बहता पानी एक प्राकृतिक कला-दीर्घा का आभास कराता है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि कोई व्यक्ति इन चट्टानों के बीच छिप जाए, तो उसे ढूंढ पाना भी आसान नहीं होगा। यही वजह है कि यह स्थान रोमांच और प्रकृति प्रेमियों के लिए भी खास है।

प्रशासनिक पहल की कमी से विकास ठप

स्थानीय लोगों के अनुसार पूर्व में विश्रामपुर के तत्कालीन प्रखंड विकास पदाधिकारी द्वारा इस स्थल का निरीक्षण किया गया था और इसे पिकनिक स्पॉट के रूप में विकसित करने की संभावना भी जताई गई थी। लेकिन प्रशासनिक तबादलों और निरंतर पहल के अभाव में यह योजना आगे नहीं बढ़ सकी। समय-समय पर कई गणमान्य लोगों द्वारा स्थल का दौरा किया गया और इसे पर्यटन के लिहाज से उपयुक्त बताया गया, लेकिन ठोस कदम आज तक नहीं उठ पाए।

स्थानीय युवाओं और ग्रामीणों की उम्मीद

तोलरा पंचायत के युवाओं और ग्रामीणों का मानना है कि यदि जनप्रतिनिधि गंभीर पहल करें, तो यह स्थान पलामू के अन्य प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों की तरह विकसित हो सकता है। आज भी आसपास के कुछ गांवों के लोग यहां पिकनिक मनाने आते हैं, लेकिन बुनियादी सुविधाओं के अभाव में यह स्थल अपनी पूरी क्षमता तक नहीं पहुंच पा रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि यदि इस क्षेत्र को संवारा जाए, तो लोगों को दूर-दराज के पर्यटन स्थलों पर जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

न्यूज़ देखो: प्रकृति ने दिया तोहफा, अब जिम्मेदारी समाज और शासन की

सतबहिनी नदी क्षेत्र यह दिखाता है कि प्रकृति ने पलामू को कितनी सुंदर विरासत दी है। आवश्यकता केवल इस बात की है कि स्थानीय शासन, जनप्रतिनिधि और समाज मिलकर इसे संरक्षित और विकसित करें। यह स्थान न केवल पर्यटन को बढ़ावा दे सकता है, बल्कि स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार के अवसर भी सृजित कर सकता है। हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

प्रकृति संरक्षण और स्थानीय विकास के लिए आगे आएं

सतबहिनी नदी जैसे स्थल हमें यह सिखाते हैं कि विकास और प्रकृति संरक्षण साथ-साथ चल सकते हैं।
आइए, हम सभी मिलकर ऐसे प्राकृतिक धरोहरों को पहचानें, संवारें और आने वाली पीढ़ियों के लिए सुरक्षित रखें।
यदि आप भी मानते हैं कि तोलरा सतबहिनी नदी को उसका हक मिलना चाहिए, तो अपनी आवाज उठाएं, इस खबर को साझा करें और स्थानीय विकास के लिए जागरूकता फैलाएं।

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Ram Niwas Tiwary

बिश्रामपुर, पलामू

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