
#महुआडांड़ #बेरोजगारी_संकट : युवाओं ने सरकार पर वादाखिलाफी का लगाया आरोप कहा रोजगार के नाम पर हुई ठगी
- लातेहार जिले के महुआडांड़ प्रखंड में बेरोजगारी का मुद्दा बन रहा है गरम विषय।
- युवाओं का कहना — सरकार ने रोजगार का सपना दिखाया, अब वही बना दुःस्वप्न।
- क्षेत्र में न भर्ती निकली, न योजनाओं का धरातल पर असर।
- स्थानीय युवा राहुल उरांव बोले — “हर हाथ को काम देने का वादा झूठ निकला।”
- पलायन बढ़ा, रोजगार सृजन की दर में दो वर्षों में गिरावट दर्ज।
लातेहार जिले के महुआडांड़ प्रखंड में बेरोज़गारी का मुद्दा अब विस्फोटक रूप ले चुका है। लंबे समय से नौकरी और काम की तलाश में संघर्ष कर रहे युवाओं का सब्र जवाब दे चुका है। अब उनका गुस्सा सड़कों और चौपालों तक पहुंच चुका है। हर जगह एक ही चर्चा है — “कब मिलेगा रोजगार?” स्थानीय युवाओं का आरोप है कि सरकार ने चुनावों के दौरान जो रोजगार का सपना दिखाया था, वह अब एक दर्दनाक हकीकत बन गया है।
युवाओं में गुस्सा, सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप
क्षेत्र के युवाओं ने झारखंड सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि “रोजगार देने का वादा सिर्फ वोट पाने की चाल थी।” उन्होंने बताया कि न तो नई भर्ती निकली और न ही कोई ऐसी योजना दिखाई दे रही है जो युवाओं को राहत दे सके। स्थिति इतनी खराब हो चुकी है कि बेरोजगारों की फौज हर गांव में बढ़ती जा रही है।
स्थानीय युवक राहुल उरांव ने कहा: “नेताओं ने कहा था ‘हर हाथ को काम देंगे’, लेकिन अब हाथ में सिर्फ़ निराशा है। सरकार जनता के साथ विश्वासघात कर रही है।”
स्थानीय बाजारों में गूंज रहा है रोजगार का मुद्दा
महुआडांड़ के बाजार और चौक-चौराहों पर इन दिनों बेरोजगारी की चर्चा आम हो गई है। युवा समूहों में यही सवाल गूंज रहा है कि सरकार कब तक उन्हें इंतजार कराएगी। कई युवाओं ने कहा कि वे वर्षों से प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं, लेकिन न तो कोई स्थायी नियुक्ति प्रक्रिया शुरू हुई और न ही स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर उपलब्ध कराए गए।
एक स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा: “सरकार सिर्फ विज्ञापन और भाषणों में व्यस्त है। ज़मीनी हकीकत यह है कि बेरोजगार भूख और मजबूरी से जूझ रहे हैं।”
आंकड़े बताते हैं चिंताजनक तस्वीर
पिछले दो वर्षों के आंकड़े बताते हैं कि झारखंड में रोजगार सृजन की दर में लगातार गिरावट आई है। ग्रामीण क्षेत्रों से भारी संख्या में युवा रोज़ काम की तलाश में रांची, बोकारो, धनबाद और महानगरों की ओर पलायन कर रहे हैं। खासकर महुआडांड़ प्रखंड से युवाओं का पलायन पिछले साल की तुलना में तीन गुना बढ़ा है। इससे स्थानीय अर्थव्यवस्था पर भी असर पड़ रहा है, क्योंकि गांवों में श्रमशक्ति की कमी महसूस की जा रही है।
बेरोजगारी से बढ़ी सामाजिक चुनौतियां
बेरोजगारी की वजह से स्थानीय युवाओं में हताशा और असंतोष बढ़ता जा रहा है। कई परिवार आर्थिक तंगी से गुजर रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि इस दिशा में ठोस कदम नहीं उठाया गया तो आने वाले महीनों में स्थिति और गंभीर हो सकती है।
न्यूज़ देखो: जब वादे कागज़ पर रह जाते हैं
महुआडांड़ में युवाओं की नाराजगी झारखंड सरकार के लिए एक गंभीर चेतावनी है। रोजगार के नाम पर किए गए वादे यदि धरातल पर नहीं उतरते, तो यह केवल भरोसे का संकट नहीं बल्कि लोकतांत्रिक असंतोष का भी संकेत है। युवाओं की ऊर्जा को दिशा देने की जरूरत है — न कि उन्हें बेरोजगारी के दलदल में छोड़ने की।
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अब वक्त है जवाबदेही का
युवा किसी देश की रीढ़ होते हैं। सरकार को चाहिए कि वह वादों से आगे बढ़कर ठोस नीति बनाए और स्थानीय स्तर पर रोजगार सृजन को प्राथमिकता दे। महुआडांड़ के युवाओं की आवाज झारखंड के हर कोने तक पहुंचनी चाहिए। अपनी राय कमेंट करें, खबर को शेयर करें और जागरूकता फैलाएं — क्योंकि बेरोजगारी सिर्फ एक समस्या नहीं, यह भविष्य की लड़ाई है।



