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गुमला के चैनपुर पोस्ट ऑफिस में खुली लूट का खेल, मनरेगा मजदूरों और ग्रामीणों की मेहनत की कमाई पर डाका

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#गुमला #चैनपुर : डाकघर में बिचौलियों और कर्मियों की साठगांठ से चल रहा ठगी का नेटवर्क — आदिवासी समुदाय बना मुख्य शिकार
  • पोस्ट ऑफिस कर्मचारी और बिचौलिए मिलकर कर रहे हैं ग्रामीणों के खातों से अवैध निकासी
  • मनरेगा मजदूरों के नाम पर O.T.P से खाते खोलकर गायब किए जा रहे पैसे।
  • केवाईसी अपडेट के नाम पर ग्रामीणों से ली जा रही ₹2500 तक की अवैध वसूली
  • पीपल चौक की “चंचल मोबाइल” दुकान भी निकासी में संलिप्त — पीड़ित परमिला बेक की शिकायत से खुली पोल।
  • पोस्टमास्टर बिनीत टोपनो ने पहले इनकार फिर पल्ला झाड़ा, संलिप्तता के सवालों पर घिरे।
  • आदिवासी ग्रामीण समुदाय में भय और निराशा, पीड़ित कर रहे न्याय की मांग

ग्रामीणों को निजी दुकानों पर भेजकर की जा रही धोखाधड़ी

गुमला जिले के चैनपुर प्रखंड स्थित डाकघर अब सेवा का केंद्र नहीं, बल्कि धोखाधड़ी और अवैध वसूली का अड्डा बन चुका है। यहां के पोस्ट ऑफिस कर्मियों पर गंभीर आरोप सामने आ रहे हैं कि वे ग्रामीणों को पोस्ट ऑफिस से पैसे न देकर निजी दुकानों पर भेज रहे हैं, जहां से उनकी कमाई हड़प ली जाती है।

कोनकेल निवासी परमिला बेक की शिकायत ने इस पूरे खेल का पर्दाफाश कर दिया। उन्होंने बताया कि जब वह पैसे निकालने पोस्ट ऑफिस पहुंचीं, तो उन्हें कहा गया कि पीपल चौक स्थित “चंचल मोबाइल” दुकान से पैसे मिलेंगे। जब वह दुकान न ढूंढ सकीं और अन्य दुकानों पर खाता जांचा, तो पता चला कि खाते से पैसे पहले ही निकाल लिए गए हैं, और आधार कार्ड से निकासी बंद कर दी गई है।

परमिला बेक ने बताया: “मैंने पैसे नहीं निकाले, फिर भी मेरा खाता खाली हो गया और अब कहा जा रहा है कि आधार निकासी बंद हो गई है।”

यह घटना न केवल पोस्ट ऑफिस कर्मियों की मिलीभगत, बल्कि स्थानीय दुकानों की संलिप्तता को भी उजागर करती है।

मनरेगा मजदूरों के नाम पर चल रहा नया O.T.P घोटाला

पोस्ट ऑफिस में केवल व्यक्तिगत निकासी नहीं, बल्कि मनरेगा मजदूरों के खातों में भी सेंध लगाई जा रही है। सूत्रों के अनुसार, बिचौलिए मजदूरों का ओटीपी लेकर उनके नाम पर खाते खोलते हैं, और फिर पोस्ट ऑफिस कर्मियों की मदद से उन खातों से पैसा निकाल लेते हैं।

जब श्रमिक मेहनताने की राशि लेने पहुंचते हैं, तो उन्हें बताया जाता है कि निकासी बंद हो गई है या पैसे पहले ही निकल चुके हैं। ये मजदूर, जिनकी पूरी आय मनरेगा पर निर्भर होती है, अब भय और असहायता के दौर से गुजर रहे हैं।

एक स्थानीय मजदूर ने बताया: “हमें कहा जाता है कि आधार से निकासी बंद है, लेकिन हम जानते हैं कि पैसा पहले ही किसी ने निकाल लिया है। हम क्या करें?”

इस पूरे मामले में पोस्ट ऑफिस कर्मचारियों और बिचौलियों की साठगांठ की संभावना बेहद मजबूत दिखाई देती है।

केवाईसी के नाम पर ₹2500 की वसूली, पोस्टमास्टर की चुप्पी

एक और चौंकाने वाला खुलासा यह हुआ है कि चैनपुर पोस्ट ऑफिस में केवाईसी अपडेट के नाम पर भी अवैध वसूली की जा रही है। जबकि केवाईसी एक सरकारी और निशुल्क प्रक्रिया है, फिर भी ग्रामीणों से ₹1000 से ₹2500 तक वसूले जा रहे हैं।

ग्रामीणों का कहना है कि यह सब पोस्टमास्टर बिनीत टोपनो की जानकारी में हो रहा है। जब उनसे संपर्क किया गया, तो शुरुआत में उन्होंने ऐसे किसी मामले से इनकार किया। लेकिन जब गहराई से पूछा गया, तो उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि “अगर ऐसा कुछ है तो मुझे सूचना दी जानी चाहिए”

एक स्थानीय समाजसेवी ने आरोप लगाया: “पोस्टमास्टर की मौन स्वीकृति इस घोटाले की पुष्टि करती है। ये सब उनकी नाक के नीचे हो रहा है।”

आदिवासी समुदाय के भोलेपन का हो रहा शोषण

चैनपुर प्रखंड की अधिकांश जनसंख्या आदिम जनजाति और अनुसूचित जनजातियों की है, जो या तो अशिक्षित हैं या बेहद कम पढ़े-लिखे। यही कारण है कि उनकी जानकारी के अभाव और भरोसे की प्रवृत्ति का लाभ उठाकर डाकघर के कर्मचारी और बिचौलिए मिलकर उन्हें ठग रहे हैं।

इन लोगों के लिए बैंक, पोस्ट ऑफिस और आधार कार्ड जैसे शब्द विश्वास के प्रतीक होते हैं, लेकिन अब यही विश्वास छल और शोषण में बदल गया है

एक पीड़ित महिला ने रोते हुए कहा: “मेरे बच्चे की दवा लाने के लिए पैसे निकालने गई थी, लेकिन मेरा खाता ही खाली मिला। अब कौन देगा जवाब?”

ग्रामीणों की मांग: हो सख्त जांच और कार्रवाई

यह पूरा मामला अब एक उच्च स्तरीय जांच की मांग करता है। ग्रामीणों और समाजसेवियों की मांग है कि चैनपुर डाकघर की वित्तीय गतिविधियों की फोरेंसिक ऑडिट हो, बिचौलियों और कर्मियों की भूमिका की विस्तृत जांच हो और दोषियों पर एफआईआर दर्ज कर कार्रवाई की जाए

सवाल यह भी उठता है कि जब इतना सब कुछ पोस्ट ऑफिस परिसर और पोस्टमास्टर की जानकारी में हो रहा है, तो अब तक किसी कार्रवाई की शुरुआत क्यों नहीं हुई?

न्यूज़ देखो: जनधन योजनाओं की जड़ों में फैलती भ्रष्टाचार की दीमक

चैनपुर पोस्ट ऑफिस का यह मामला केवल एक गांव या जिले की बात नहीं, बल्कि यह पूरे तंत्र की गहरी खामियों की ओर इशारा करता है। यह साबित करता है कि कैसे भ्रष्टाचार सरकारी योजनाओं के अंतिम छोर पर बैठे लाभार्थियों तक पहुंचने से पहले ही लूट लेता हैन्यूज़ देखो इस प्रकार की सच्चाई को उजागर कर आम जन को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने का कार्य कर रहा है।

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भ्रष्टाचार तभी पनपता है जब आमजन चुप रहता है। अब समय है जागरूक बनने का, अपने हक के लिए आवाज़ उठाने का, और हर उस व्यक्ति या संस्था को बेनकाब करने का जो गरीबों की मेहनत पर डाका डालते हैंइस खबर को साझा करें, अपना अनुभव कमेंट में लिखें, और चैनपुर के ग्रामीणों की आवाज़ को पूरे झारखंड तक पहुंचाएं।

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