
#रांची #देवस्नानयात्रा – जगन्नाथपुर मंदिर में देवताओं का होगा औषधीय जल से स्नान, 15 दिन के एकांतवास के बाद निकलेगी भव्य रथ यात्रा
- 11 जून को दोपहर 1 बजे से प्रारंभ होगा स्नान यात्रा उत्सव
- भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा का 51-51 कलशों से अभिषेक
- 108 दीपों से होगी विशेष आरती, श्रद्धालु कर सकेंगे गंगाजल से स्नान
- 15 दिन तक गरुड़ मंदिर में रहेगा एकांतवास
- 26 जून को नेत्रदान, 27 को रथ यात्रा और 6 जुलाई को घूरती यात्रा
श्रद्धा, भक्ति और परंपरा का संगम
रांची। ऐतिहासिक जगन्नाथपुर मंदिर में इस वर्ष 11 जून, बुधवार को पारंपरिक देव स्नान यात्रा उत्सव वैदिक विधानों और भक्तिपूर्ण वातावरण में मनाया जाएगा। मंदिर प्रशासन ने आयोजन की सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं। स्नान उत्सव की शुरुआत दोपहर 1 बजे से होगी।
दिनभर का धार्मिक कार्यक्रम
दिन की शुरुआत सुबह 5 बजे सुप्रभातम और 6 बजे मंगल आरती से होगी। इसके बाद दोपहर 12 बजे भगवान को भोग अर्पित कर मंदिर के पट बंद कर दिए जाएंगे। फिर भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा को गर्भगृह से स्नान मंडप तक शोभायात्रा के रूप में लाया जाएगा।
तीनों विग्रहों का स्नान 51-51 मिट्टी के कलशों में संग्रहित औषधीय जल से कराया जाएगा। इस पवित्र अनुष्ठान का संचालन पुजारी रामेश्वर पादी, सरयू नाथ मिश्रा, कौस्तुभधर नाथ मिश्रा और श्रीराम मोहंती द्वारा किया जाएगा, जबकि जजमान के रूप में मंदिर के प्रथम सेवक ठाकुर सुधांशु नाथ शाहदेव रहेंगे।
विशेष आरती और भक्तों के लिए अभिषेक
भव्य स्नान के बाद 108 दीपों से आरती की जाएगी। दोपहर 2 बजे से 3:30 बजे तक भक्तों को गंगाजल से जलाभिषेक करने की अनुमति दी गई है। इसके बाद श्री जगन्नाथ अष्टकम, गीता पाठ और दीप आरती का आयोजन किया जाएगा।
15 दिन का एकांतवास और भगवान की झलक
धार्मिक मान्यता के अनुसार, स्नान के बाद भगवान अस्वस्थ हो जाते हैं और उन्हें 15 दिन के लिए गरुड़ मंदिर में एकांतवास में रखा जाता है। इस दौरान केवल राधा-कृष्ण की मूर्तियों का दर्शन होगा। इस अवधि में कलाकार भगवान को नया स्वरूप प्रदान करते हैं।
26 जून को नेत्रदान, 27 को रथ यात्रा
एकांतवास के पश्चात 26 जून को शाम 4:30 बजे नेत्रदान महोत्सव के अवसर पर भगवान फिर से दर्शन देंगे। इसके अगले दिन 27 जून को भव्य रथ यात्रा निकाली जाएगी, जिसमें हजारों श्रद्धालुओं के शामिल होने की संभावना है। वहीं, 6 जुलाई को घूरती यात्रा का आयोजन होगा।
रथ निर्माण की अंतिम चरण में तैयारी
रथ यात्रा की तैयारी अक्षय तृतीया से शुरू होती है। इस वर्ष भी पुरी से आए दशरथ महाराणा के नेतृत्व में 11 कारीगरों की टीम और स्थानीय महावीर लौहार की टीम द्वारा रथ निर्माण का कार्य चल रहा है। 26 जून तक रथ पर रंग-रोगन और सजावट का काम पूरा कर लिया जाएगा।
न्यूज़ देखो: परंपरा और आस्था की जीवंत मिसाल
जगन्नाथपुर मंदिर का यह आयोजन न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि झारखंड की सांस्कृतिक विरासत को भी जीवंत करता है। हर वर्ष की तरह इस बार भी रांची में भक्ति, परंपरा और उत्सव का अद्भुत संगम देखने को मिलेगा।
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श्रद्धा की डोर से जुड़ा पर्व
देव स्नान यात्रा, एकांतवास, और फिर रथ यात्रा—ये तीन चरण केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि जनता की उस आस्था की कहानी हैं जो पीढ़ियों से चली आ रही है।
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